नई दिल्ली : यूक्रेन और रूस के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। यूक्रेन से लगी अपनी सीमा में हजारों की संख्या में सैनिक और मिसाइलें तैनात करने के बाद रूस की तरफ से आक्रामक बयान जारी किए जा रहे थे। इस बीच, अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने रविवार को एक इंटरव्यू में चेतावनी देते हुए कहा कि रूस यदि यूक्रेन के खिलाफ कोई 'आक्रामक' कार्रवाई करता है तो उसे 'परिणाम' भुगतने होंगे। अमेरिका का यह बयान ऐसे समय आया है जब संयुक्त राष्ट्र, जर्मनी एवं तुर्की सहित कई देशों ने रूस से संयम बरतने की अपील की है।
अमेरिकी विदेश मंत्री ने रूस को दी कड़ी चेतावनी
एनबीसी के कार्यक्रम 'मीट द प्रेस' में ब्लिंकेन ने कहा, 'मैं आपको यूक्रेन की सीमा पर रूस की कार्रवाई के बारे में अपनी चिंताओं को बता रहा हूं। इसलिए हम यूरोप के अपने सहयोगी एवं साझेदारों के साथ करीबी संपर्क एवं सहयोग में हैं। सभी देशों के बीच यह एक चिंता का विषय है। राष्ट्रपति बिडेन इस बारे में बहुत ही स्पष्ट हैं। रूस अगर आक्रामक कार्रवाई करता है तो उसे कीमत चुकानी पड़ेगी और उसे परिणाम भुगतने होंगे।' हाल के दिनों में यूक्रेन के पूर्वी भाग में रूस समर्थित लड़ाकों एवं यूक्रेन की सेना के बीच संघर्ष तेज हुआ है। रूस ने पूर्वी भाग में अपनी सैन्य ताकत बढ़ा दी है जिसके बाद ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि मास्को की योजना इस क्षेत्र में लंबे समय तक संघर्ष जारी रखने की है।
यूक्रेन ने रूस पर लगाए आरोप
यूक्रेन ने आरोप लगाया है कि रूस उसकी पूर्वी एवं उत्तरी सीमा पर बड़ी संख्या में अपनी फौज का जमावड़ा किया है। जबकि मास्को ने यूक्रेन पर स्थिति को बिगाड़ने का आरोप लगाया है। रूस ने अपनी फौज को उक्रेन सीमा पर पहुंचाने की रिपोर्टों को भी खारिच किया है। इससे पहले ह्वाइट हाउस ने कहा कि यूक्रेन की सीमा पर 2014 के बाद पहली बार रूस ने इतनी बड़ा संख्या में अपनी फौज जमा की है। साल 2014 में रूस ने यूक्रेन के हिस्से क्रीमिया पर अपना कब्जा कर लिया। तब से दोनों देशों के बीच तनाव चल रहा है।
रूस समर्थित अलगाववादी और यूक्रेन की सेना के बीच झड़प
यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में रूस समर्थित अलगाववादी और यूक्रेन की सीमा के बीच लंबे समय से झड़प चल रही है। यूक्रेन से लगने वाली सीमा पर रूस अपने सैनिकों की संख्या लगातार बढ़ा रहा है। रूसी अधिकारी दमित्री गोजाख ने कुछ दिनों पहले कहा कि अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए रूस हस्तक्षेप कर सकता है। उन्होंने कहा कि यह इस पर निर्भर करता है कि आग कितनी फैलती है। गोजाख ने यह भी कहा कि यह यूक्रेन के 'अंत की शुरुआत हो सकती है। ऐसा हो सकता है कि इस बार पैर पर गोली न मारकर सीधे चेहरे पर गोली मारी जाए।'
साल 2014 के बाद दोनों देशों के बीच तनाव शुरू हुआ
रूस को आशंका है कि यूक्रेन अगर डोनबास का पूर्व नियंत्रण हासिल कर लेता है तो रूसी भाषी लोगों को सेब्रेनित्सा जैसा नरसंहार का सामना करना पड़ सकता है। यूक्रेन और रूस के बीच विवाद की शुरुआत 2014 में हुई। इस साल रूस ने क्रीमिया प्रायद्वीप का खुद में विलय कर लिया। इससे पहले क्रीमिया यूक्रेन का हिस्सा हुआ करता था। साल 2014 में यूक्रेन में क्रांति हुई। इस समय रूस ने हस्तक्षेप करते हुए क्रीमिया में रूस की सेना भेजी और उसे अपने कब्जे में ले लिया।
रूस के खिलाफ एकजुट हैं पश्चिमी देश
क्रीमया को रूस में शामिल करने के पीछे यह दलील दी गई कि क्रीमिया में रूसी मूल के लोग ज्यादा है और उनके हितों की रक्षा करना मास्को की जिम्मेदारी है। रूस के इस कदम से पश्चिम देश नाराज हुए। इस घटना ने रूस, अमेरिका और यूरोपीय देशों के बीच दरार पैदा की। यूरोपीय संघ और अमेरिका ने रूस के इस कदम के खिलाफ प्रतिबंध भी लगाए। बताया जाता है कि पूर्वी यूक्रेन में अब तक चले संघर्ष में 14 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।