रूस-यूक्रेन युद्ध ने पूरी दुनिया को चिंता में डाल रखा है। इसके लिए रूस को जिम्मेदार ठहराते हुए पश्चिमी देशों ने रूस के खिलाफ कई प्रतिबंधों का ऐलान किया है तो उसके साथ बातचीत की प्रक्रिया भी जारी है। रूस और यूक्रेन के प्रतिनिधिमंडल के बीच गुरुवार को जहां बेलारूस में दूसरे दौर की वार्ता हुई, वहीं फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने अपने रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन से फोन पर लंबी बातचीत की।
मैक्रों और पुतिन की वार्ता लगभग 90 मिनट चली, लेकिन इस दौरान फ्रांस, रूस से मानवीय त्रासदी रोकने को लेकर कुछ भी ठोस वादा हासिल करने में नाकाम रहा। बाद में फ्रांस के राष्ट्रपति का जो बयान आया, उसने हालात की गंभीरता को ही बयां किया। पुतिन से बातचीत के बाद मैक्रों ने अंदेशा जताया कि यूक्रेन में 'अभी और भी बुरे दौर का आना बाकी है।' उन्हें यह अंदेशा रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के उस बयान से हुआ है, जिसमें उन्होंने कहा कि रूस, यूक्रेन में अपना लक्ष्य हासिल करके रहेगा।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से बातचीत में पुतिन ने कहा कि रूस, यूक्रेन को 'डिमिलिट्राइज' करेगा और उसे तटस्थ बनाएगा। पुतिन ने यह भी कहा कि यूक्रेन की तरफ से वार्ता और एक नतीजे तक पहुंचने में अगर देरी की जाती है तो रूस की मांगें और बढ़ेंगी।
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समाचार एजेंसी AFP की रिपोर्ट के मुताबिक, पुतिन के साथ हुई इस वार्ता के बाद मैक्रों के करीबी सहयोगी ने कहा, पुतिन ने राष्ट्रपति मैक्रों को जो कुछ भी कहा, उससे उन्हें लगता है कि यूक्रेन में अभी और भी बुरा हो सकता है। उन्होंने यूक्रेन में अपना सैन्य अभियान जारी रखने की बात कही तो यह भी कहा कि वह पूरे यूक्रेन पर नियंत्रण चाहते हैं और यूक्रेन को 'de-Nazify' करने के लिए अंत तक ऑपरेशन चलाएंगे।
फ्रांसीसी राष्ट्रपति के सहयोगी रूस के राष्ट्रपति के बयानों को हैरान करने वाला और अस्वीकार्य करार दिया, जिस बारे में उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति मैक्रों ने भी इस पर आपत्ति जताई और कहा कि यह झूठ है। बातचीत के दौरान राष्ट्रपति मैक्रों ने पुतिन के समक्ष जंग में नागरिकों के हताहत होने का मसला भी उठाया और कहा कि इससे बचा जाना चाहिए। साथ ही मानवीय सहायता के लिए पहुंच सुनिश्चित की जानी चाहिए। इस पर पुतिन ने सहमति जताई, पर इसे लेकर उन्होंने कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई।