इस्लामाबाद/वाशिंगटन : आतंकवाद के खिलाफ अपने दोहरे चरित्र को लेकर बदनाम पाकिस्तान इस मामले में एक बार फिर बेनकाब हुआ है, जब सुप्रीम कोर्ट ने यहां अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या मामले में अभियुक्त आतंकी उमर सईद शेख सहित चार लोगों को रिहा करने का आदेश दिया। 29 जनवरी को आए इस फैसले पर अमेरिका ने सख्त नाराजगी जताई है और इसे आतंकवाद का शिकार हुए लोगों का अपमान करार दिया।
डेनियल पर्ल के परिवार ने भी पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इसने पूरी न्याय प्रक्रिया को मजाक बना दिया है। इस मामले में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी से फोन पर बात कर चुके हैं और उन्होंने कड़े लहजे में कहा कि डेनियल पर्ल की हत्या के लिए जिम्मेदार आतंकवादियों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने भी पाकिस्तान की शीर्ष अदालत द्वारा डेनियल पर्ल की हत्या मामले में अभियुक्तों को रिहा करने पर चिंता जताई है।
डेनियल पर्ल अमेरिका की मशहूर पत्रिका 'वॉल स्ट्रीट जर्नल' के दक्षिण एशिया के ब्यूरो चीफ थे। वह साल 2002 में लापता हो गए थे, जब वह पाकिस्तान में खुफिया एजेंसी आईएसआई और अलकायदा के बीच संबंधों पर एक खबर के लिए जानकारी जुटा रहे थे। वह कराची में आतंकी गतिविधियों और रिचर्ड रीड के बीच संबंधों की भी तलाश कर रहे थे, जिसने जूतों में बम छिपाकर एक यात्री विमान में विस्फोट की कोशिश की थी।
बाद में यह सामने आया कि डेनियल पर्ल का आतंकियों ने अपहरण कर लिया है। करीब एक महीने तक पाकिस्तानी और अमेरिकी समाचार संस्थानों को ईमेल जरिये कई मांगें आतंकियों की ओर से भेजी गईं, जिनमें अमेरिकी जेलों में बंद पाकिस्तानी कैदियों के साथ अच्छे व्यवहार को लेकर की गई एक मांग भी शामिल थी। करीब एक महीने के बाद कराची में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास में पर्ल की हत्या का वीडियो भेजा गया, जिसने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था। आतंकियों ने सिर कलम कर उनकी हत्या कर दी थी।
इस मामले में उमर सईद शेख की गिरफ्तारी डेनियल पर्ल के अपहरण के कुछ ही दिनों बाद हो गई थी। उस आरोप लगा कि उसने पर्ल को एक मौलवी से मिलवाने का लालच दिया था और इसके बाद से उनके बारे में कोई जानकारी सामने नहीं आई। बाद में पाकिस्तान की आतंक निरोधक अदालत ने उसे हत्या का दोषी ठहराया था, जिसके तहत उसे फांसी दी जानी थी। लेकिन इस फैसले को सिंध हाई कोर्ट में चुनौती दी गई, जिसने अप्रैल 2020 में शेख को केवल अपहरण का दोषी ठहराते हुए उसकी सजा को कम कर दिया, जबकि इस मामले में दोषी ठहराए गए तीन अन्य लोगों को रिहा कर दिया।
सिंध हाईकोर्ट के उस फैसले पर भी डेनियल पर्ल का परिवार विफरा था। अमेरिका ने दबाव बढ़ाया तो पाकिस्तान सरकार ने इस मामले में हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन पाकिस्तान की शीर्ष अदालत ने सिंध हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए शेख और अन्य अभियुक्तों की रिहाई का आदेश दे दिया। इसके बाद आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई को लेकर पाकिस्तान एक बार फिर सवालों के घेरे में है और अमेरिका ने उससे कड़ी नाराजगी जताई है।
उमर सईद शेख आतंकवाद के कई मामलों में वांछित है। ब्रिटेन में 1973 में पैदा हुए शेख को तीन ब्रिटिश और एक अमेरिकी नागरिक के अपहरण के मामले में भारत में 1994 में गिरफ्तार किया गया था। लेकिन 1999 में जब पाकिस्तानी आतंकियों ने इंडियन एयरलाइंस की उड़ान संख्या आईसी-814 का अपहरण कर लिया था, तब यात्रियों की सुरक्षित रिहाई को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने उस वक्त जिन तीन आतंकियों को रिहा किया था, उनमें उमर सईद शेख भी शामिल था।
उस समय उमर सईद शेख के अतिरिक्त मसूद अजहर, मुश्ताक अहमद जरगर को भी रिहा किया गया था। उमर सईद शेख पर अमेरिका में 11 सितंबर, 2001 को हुए हमले में शामिल एक आतंकी के खाते में पैसे भेजने का भी आरोप है।