Sindh Country: पाकिस्तान में सिंध देश की मांग के पीछे क्या है ऐतिहासिक आधार, आइए चलते हैं इतिहास में

दुनिया
ललित राय
Updated Jan 19, 2021 | 10:43 IST

सिंध प्रांत में बड़ी तादाद पर लोग सड़कों पर निकले थे और अलग सिंध देश की मांग कर रहे थे। यहां हम बताएंगे कि इसके पीछे का ऐतिहासिक आधार क्या है।

Sindh Country: पाकिस्तान में सिंध देश की मांग के पीछे क्या है ऐतिहासिक आधार, आइए चलते हैं इतिहास में
पाकिस्तान का सबसे समृद्ध सूबा है सिंध 
मुख्य बातें
  • पाकिस्तान में सबसे समृद्ध सूबा सिंध है, कराची आर्थिक राजधानी के तौर पर विख्यात
  • पाकिस्तान का 70 फीसद राजस्व सिंध प्रांत से आता है
  • सिंधी लोगों का आरोप कि इस्लामाबाद ने हमेशा सौतेला व्यवहार किया

नई दिल्ली। 1947 में जब भारत का बंटवारा जिन्ना की जिद पर हुआ तो पाकिस्तान देश का उदय हुआ। वैसे तो पाकिस्तान का अर्थ पवित्र भूमि से है। लेकिन 1947 से आज तक के इतिहास को देखें तो पाकिस्तान की आत्मा को उसके ही शासक बार बार दुखाते रहे। बंटवारे के तुरंत बाद जिन्ना ने कहा भी था कि उन्हें तो अंग्रेजों की तरफ से सड़ा गला देश मिला है। पाकिस्तान का राजनीतिक नक्शे पर उदय हो चुका था। लेकिन उसके अलग अलग हिस्सों में बगावती सुर भी सुनाई पड़ रहे थे जिसका आवाज आज भी कानों में गूंजती है। विरोध के सुर अगर बलूचिस्तान में सुनाई पड़े तो सिंध भी अलग नहीं था।

यह है सिंध देश का आधार
अगर पाकिस्तान की बात करें तो सिंध का महत्व इस अर्थ में समझा जा सकता है कि यदि कराची को अलग कर दिया जाए तो पाकिस्तान के हिस्से में रेगिस्तानस पहाड़ के अलावा कुछ खास नहीं बचता है। पाकिस्तान के उदय के साथ ही वहां की राजनीति में गैर सिंधी जमात का दबदबा रहा जो सिंध के नेताओं को खटकती थी। लेकिन जब जुल्फिकार अली भुट्टो सत्ता में आए तो विरोध की आवाज कुछ समय के लिए इस वजह से शांत हो गई क्योंकि वो खुद सिंधी थे। यह अलग बात है कि सिंध की मांग उठने लगी थी। लेकिन जब जुल्फिकार अली भुट्टो को उनके ही जनरल जिया उल हक ने उखाड़ फेंका तो अलग सिंध की आवाज पर चोट लगना स्वभाविक था। जिया उल हक ने सिंध के नेताओं को अलग अलग गुटों में बांट दिया और उसका असर यह हुआ कि आंदोलन कमजोर पड़ने लगा। 

तात्कालिक विरोध की वजह
रविवार को सान कस्‍बे में निकाली गई थी।  प्रदर्शन कर रहे लोगों ने सिंधुदेश बनाने में पीएम नरेंद्र मोदी और दुनिया के दूसरे नेताओं से दखल की मांग की। सिंध प्रांत के साथ इमरान सरकार काफी ज्‍यादती कर रही है। लोगों का आरोप है कि सिंध की जमीन को जबरन चीन को दिया जा रहा है। खासतौर से चीन को मछली पकड़ने के लिए समुद्री इलाके का पट्टा किया जा रहा है। 
कहां है सिंध
पाकिस्तान में कुल पांच प्रांत हैं जिनमें से एक सिंध है। यह प्रांत इस्लामाबाद से दक्षिण पूर्व में है। क्षेत्रफल के लिहाज से तीसरा और जनसंख्या के हिसाब से दूसरा बड़ा राज्य है। यहां के रहने वालों को आमतौर पर सिंधी कहा जाता है। आंकड़ों के मुताबिक ज्यादातर अल्पसंख्यक आबादी भी यहां रहती हैं जिनके दमन के बारे में समय समय पर खबरें आती रहती हैं। 

अलग देश बनाने की मुहिम अब भी जारी
इमरान खान सरकार से सिंध के अलग अलग दलों की मांग है कि उन्हें स्वतंत्र देश का दर्जा प्रदान किया जाए। इस आंदोलन को सिंध के नेता जीएम सैयद ने बांग्‍लादेश की आजादी के ठीक बाद शुरू किया था। उन्‍होंने सिंध के राष्‍ट्रवाद को नई दिशा दी और सिंधुदेश का विचार दिया। इस आंदोलन से जुडे़ नेताओं का मानना है कि संसदीय तरीके से आजादी और अधिकार नहीं मिल सकते हैं। सिंध के लिए मुहिम चलाने वाले एमक्यूएम नेता अल्ताफ हुसैन ब्रिटेन में निर्वासित जिंदगी जी रहे हैं और वो कहते हैं कि सिंध का इस्लामाबाद से नैसर्गिक रिश्ता हो ही नहीं सकता। सिंध की अपनी कला, संस्कृति और रहन सहन है जो किसी भी रुप में शेष पाकिस्तान से मेल नहीं खाता है। 


पाकिस्तान का 70 फीसद राजस्व सिंध से 

सिंध के अलग अलग दल के नेता कहते हैं कि पाकिस्तान को उसके कुल राजस्व का 70 फीसद हिस्सा यहां से मिलता है। लेकिन इस्लामाबाद में भागीदारी ना के बराबर में है। सिंध में जिस तरह से मानवता का दमन किया जा रहा है वो किसी से छिपी नहीं है। अल्पसंख्यक महिलाओं के साथ अत्याचार की खबरों से हम सब शर्मसार होते रहते हैं। इस तरह की दिक्कतों और परेशानियों से निकलने का एकमात्र रास्ता यही है कि उन्हें स्वतंत्र देश का दर्जा दिया जाए।

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