आग से खेलेंगे बाइडेन ! चीन की धमकी पर क्या करेगा अमेरिका, दुनिया पर इस बड़े संकट का खतरा

दुनिया
प्रशांत श्रीवास्तव
Updated Jul 29, 2022 | 19:22 IST

USA-China and Taiwan:  चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है, जबकि ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश मानता है। ताइवान और चीन के बीच विवाद की शुरूआत 1949 से शुरू होती है। अमेरिका कुछ गिने-चुने  देशों में है जो ताइवान का समर्थन करते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह, ताइवान की भौगोलिक स्थिति है।

USA-China and Taiwan
जानें क्या है ताइवान विवाद 
मुख्य बातें
  • ताइवान पर चीन के कब्जे के बाद अमेरिकी सैन्य ठिकाने सीधे उसकी जद में आ जाएंगे।
  • हाल ही में एक वायरल क्लिप में चीन के वरिष्ठ अधिकारी ताइवान पर हमले की बातचीत कर रहे थे।
  • अकेले ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी, दुनिया का 92 फीसदी एडवांस सेमीकंडक्टर का उत्पादन करती है।

USA-China and Taiwan: क्या अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन आग से खेलेंगे ? चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ 2 घंटे से ज्यादा हुई बात में जिनपिंग की चेतावनी के बाद यही सबसे बड़ा सवाल है। असल में गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइ़डेन से बातचीत हुई। इस बातचीत में जिनपिंग ने बाइडेन को ताइवान के मसले पर आग से न खेलने की चेतावनी दे डाली है। उन्होंने अमेरिकी हाउस की स्पीकर नैन्सी पेलोसी की प्रस्तावित ताइवान यात्रा पर आपत्ती उठाते हुए यह बाते कहीं है। 

चीन को नैन्सी पावेल की यात्रा पर क्यों ऐतराज

ऐसी खबरें हैं कि अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी अगले महीने ताइवान की यात्रा कर सकती है। इस खबर पर चीन पहले भी ऐतराज जता चुका है। उसके विदेश मंत्रालय ने 19 जुलाई को दो टूक शब्दों में कहा खा कि अगर अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी कथित तौर पर ताइवान यात्रा की अपनी योजना पर आगे बढ़ती हैं, तो चीन सख्त एवं कठोर कार्रवाई करेगा। और अब शी जिनपिंग ने भी चेतावनी दे डाली है।

इस विवाद के पीछे चीन की वन चाइना पॉलिसी है। जिसमें वह ताइवान को अपना हिस्सा मानता है। इसीलिए उसका कहना है कि ताइवान की आजादी एवं किसी तरह के बाहरी दखल का चीन कठोरता से विरोध करता है। हालांकि शी जिनपिंग की इस धमकी पर व्हाइट हाउस के अनुसार बाइडेन ने कहा कि ताइवान पर अमेरिका की नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है और ताइवान में शांति एवं स्थिरता को कमजोर करने के प्रयासों अथवा यथास्थिति में किसी तरह के एकतरफा बदलाव का मजबूती के साथ अमेरिका विरोध करता है।

चीन का ताइवान से क्या है विवाद

 चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है, जबकि ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश मानता है। ताइवान और चीन के बीच विवाद की शुरूआत 1949 से शुरू होती है। जब 1949 में माओत्से तुंग के नेतृत्व में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने जीत हासिल कर राजधानी बीजिंग पर कब्जा कर लिया। और हार के बाद सत्ताधारी नेशनलिस्ट पार्टी (कुओमिंतांग) के लोगों को भागना पड़ा। इसके बाद उन लोगों को ताइवान में जाकर अपनी सत्ता स्थापित कर ली । ताइवान का अपना संविधान है और वहां लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार का शासन है। लेकिन इस सरकार को चीन वैध नहीं मानता है।

ताइवान के साथ अमेरिका

अमेरिका कुछ गिने-चुने  देशों में है जो ताइवान का समर्थन करते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह, ताइवान की भौगोलिक स्थिति है। दक्षिण पूर्वी चीन के तट से करीब 100 मील की दूरी पर ताइवान स्थित है। और अगर इस पर चीन का कब्जा हो जाता है। तो गुआम और हवाई द्वीप पर मौजूद अमेरिकी सैन्य ठिकाने सीधे चीन के निशाने पर आ जाएंगे। इसके अलावा पश्चिमी प्रशांत महासागर में चीन को खुला रास्ता भी मिल सकता है। जो सीधे तौर पर अमेरिकी हितों को प्रभावित करेगा। इसीलिए अमेरिका ताइवान का समर्थन करता रहता है। और उसे सैन्य सहायता से लेकर कूटनीतिक मदद तक करता है। ताइवान के इलाके में दक्षिण कोरिया, जापान, फिलीपींस जैसे देश अमेरिका के साथ हैं। 

चीन ताइवान पर हमले की धमकी देता रहता है

हाल ही में एक वायरल क्लिप में चीन के वरिष्ठ अधिकारी ताइवान पर हमले की बातचीत कर रहे थे। इसी तरह पिछले अक्टूबर में चीन ने अपने राष्ट्रीय दिवस पर करीब 38 फाइटर प्लेन,ताइवान की सीमा का उल्लंघन कर उड़ाए थे। ताइवान के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक चीन की इस नापाक हरकत में 18 J-16, 4 सुखोई-30, 2 परमाणु बम गिराने में सक्षम एच-6 बॉम्‍बर और दूसरे विमान भेजे थे। इसके जवाब में ताइवान की एयरफोर्स ने भी अपने फाइटर जेट्स उड़ाए। इसके बाद जनवरी और मार्च 2022 में भी ऐसी हरकत चीन ने की थी। 

'आग से खेलेगो तो नष्ट हो जाओगे' ताइवान पर जिनपिंग ने अमेरिका को दी कड़ी चेतावनी

युद्ध से खड़ा हो जाएगा नया संकट

अगर चीन, ताइवान पर हमला करता है तो रूस-यूक्रेन युद्ध की तरह, दुनिया के सामने नया संकट खड़ा हो सकता है। जैसे अभी खाद्यान्न और जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति की संकट की वजह से पूरी दुनिया महंगाई से परेशान है। ठीक उसी तरह पूरी दुनिया के सामने चिप का संकट खड़ा हो सकता है।  पूरी दुनिया  चिप के लिए ताइवान के भरोसे हैं। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार अकेले ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी, दुनिया का 92 फीसदी एडवांस सेमीकंडक्टर का उत्पादन करती है। जाहिर है कि युद्ध के हालात में दुनिया में मोबाइल फोन, लैपटॉप , ऑटोमोबाइल, हेल्थ केयर, हथियारों आदि उत्पादों का उत्पादन संकट में पड़ जाएगा।

अगली खबर