इजरायल ने गाजा पट्टी, सिनाई प्रायद्वीप, वेस्ट बैंक, पूर्वी येरूशलम, गोलान हाइट्स पर कब्जा कर लिया था।हाल के दिनों में इजरायल और फिलिस्तीन ने एक-दूसरे पर हवाई हमले किए। इन हमलों में कई लोगों की जान चली गई। दोनों देशों के बीच कई दशकों से तनातनी जारी है। इजरायल की लड़ाई सिर्फ फिलिस्तीन से ही नहीं हुई है। इजरायल की मिस्र और अरब देशों से भी लड़ाई हुई है। 5 जून 1967 को इजरायल का मिस्र से युद्ध शुरू हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि मिस्र हमले की तैयारी कर रहा था। इसी बीच इजरायल ने अचानक मिस्र पर हमला कर दिया। इजरायल ने मिस्र में ऐसी तबाही मचाई कि उसके करीब 400 लड़ाकू विमान बर्बाद हो गए। मिस्र की वायुसेना के एक तिहाई पायलट इन हमलों में मारे गए। कहा जाता है जब इजरायल ने हमला किया था तब तो मिस्र के करीब सभी विमान जमीन पर थे और उनके पायलट नाश्ता कर रहे थे। उन्हें अंदाजा ही नहीं था कि इजरायल हमला करने वाला है। इस युद्ध को 'जून वॉर' के नाम भी जाना जाता है।
युद्ध इजरायल मिस्र के बीच शुरू हुआ। लेकिन इसमें कई देश शामिल हो गए। सीरिया, जॉर्डन, अल्जीरिया इराक, कुवैत, सऊदी अरब, सूडान जैसे देश ने मिस्र का साथ दिया। जिसके बाद शुरू हुए युद्ध में कई देश शामिल हो गए। युद्ध तो इजरायल मिस्र सीमा पर ही शुरू हुआ था, लेकिन जल्द ही ये कई और अरब मुल्कों तक फैल गया। इजरायल का मानना था कि मिस्र उस पर हमले के लिए पहले से ही तैयार बैठा था। इजरायली हमले के तुरंत बाद इजरायल के खिलाफ अरब देशों के सैनिके मोर्चा के लिए तैयार हो गए। लेकिन 6 दिनों तक चले इस युद्ध में आखिरकार इजरायल की जीत हुई। इजरायल ने मिश्र से गाजा पट्टी, सिनाई प्रायद्वीप, जॉर्डन से वेस्ट बैंक, पूर्वी येरूशलम, सीरिया से गोलान हाइट्स को अपने कब्जे में ले लिया। आखिरकार संयुक्त राष्ट्र से हस्तक्षेप से बाद यह युद्ध समाप्त हुई। इस युद्ध में इजरायल के करीब 1000 सैनिक मारे गए जबकि करीब 4500 सैनिक घायल हो गए। उधर मिश्र और उसकी तरफ से लड़ रहे देशों के करीब 15 से 20 हजार सैनिकों की मौत हुई। दोनों तरफ के हजारों सैनिक बंधक भी बनाए गए।
इजरायल और मिश्र के बीच 1967 में हुए युद्ध पर लिखी पुस्तक 'सिक्स डेज ऑफ वॉर' के मुताबकि ये सारे विमान धरती से सिर्फ 15 मीटर ऊपर उड़ रहे थे ताकि मिस्र के रडार उनके विमानों का पता न लगा सके। इनमें से ज्यादातर विमान पहले पश्चिम की तरफ गए। वहां से वापस मिस्र की तरफ मुड़ गए।अन्य विमान लाल सागर की तरफ से मिस्र के काफी अंदर बने हवाई ठिकानों की तरफ बढ़े। सारे विमान बहुत कड़ाई से रेडियों 'साइलेंस' का पालन कर रहे थे। सभी पायलट एक दूसरे के संपर्क में थे। इजरायल चाहता था मिस्र को इसकी हवा तक न लग पाए।
1967 के युद्ध को लेकर कोई स्पष्ट कारण का पता नहीं है। कहा जाता है कि नवंबर 1966 में जार्डन के आतंकियों ने तीन इजरायली सैनिकों को मार दिया था। जार्डन के राजा हुसैन ने इजरायल को शोकसंदेश भेजने में देरी की यह इजरायल को पसंद नहीं आया। यह भी युद्ध की वजह है। उधर मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल नासिर ने ऐलान किया था कि उनका प्रमुख उद्देश्य इजरायल का विनाश है और अरब लोग युद्ध चाहते हैं। उसके बाद मिस्र ने जॉर्डन के साथ समझौता किया जिसके तहत दोनों देश ने माना कि अगर एक देश पर हमला हुआ, तो दूसरा देश भी उसे अपने ऊपर हमला मानेगा। उधर इजरायल भी चौकन्ना था और मौका देखते ही मिस्र सेना के लड़ाकू विमानों पर हमला कर दिया।
जानकारों का कहना है कि मिस्र के वायुक्षेत्र में इजरायली विमानों के आने की वजह से लड़ाई प्रारंभ हुई। मिस्र के सरकारी रेडियो ने इजरायल द्वारा हमला किए जाने का ऐलान किया। इजरायली विमानों ने मिश्र पर हवाई हमला कर दिया था। सीरिया के साथ-साथ इराक, कुवैत, सूडान अल्जीरिया, यमन और फिर सऊदी अरब भी मिस्र के समर्थन में कूद पड़े।