संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त महासचिव के पद पर इस वक्त एंटोनियो गुटेरेस कार्यरत हैं, जिन्होंने इस पद की जिम्मेदारी जनवरी 2017 में संभाली थी। संयुक्त राष्ट्र महासचिव के पद का कार्यकाल 5 वर्षों का होता है और इस लिहाज से उनका कार्यकाल इस साल 31 दिसंबर को पूरा होने वाला है। मूलत: पुर्तगाल से ताल्लुक रखने वाले 71 वर्षीय एंटोनियो गुटेरेस ने पहले ही दूसरे कार्यकाल के लिए दावेदारी जता दी है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव पद के लिए चुनाव दिसंबर 2021 में होना है, जिसमें गुटेरेस के सामने फिलहाल कोई बड़ी चुनौती नजर नहीं आ रही है। इस पद के लिए उनसे मुकाबले को लेकर कोई दूसरा बड़ा नाम अब तक सामने नहीं आया है, लेकिन इस रेस में एक भारतवंशी युवा महिला ने अपनी दावेदारी जताकर पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। ये भारतवंशी युवा महिला अरोड़ा अकांक्षा हैं, जिनकी उम्र महज 34 साल है।
संयुक्त राष्ट्र 1945 में अस्तित्व में आया था और इसके बीते 75 साल के इतिहास में महासचिव पद पर अब तक कोई महिला नहीं रही है। ऐसे में यह सवाल दिलचस्प है कि क्या आकांक्षा यूएन का इतिहास बदल पाएंगी? गुटेरेस के सामने अकांक्षा की उम्र और अनुभव दोनों बहुत कम हैं, लेकिन हौसले बुलंद हैं। उन्होंने अपने लिए खुद प्रचार शुरू कर दिया है और इसके लिए वह सोशल मीडिया का सहारा ले रही हैं।
आकांक्षा का संबंध यूं तो कई देशों से है, लेकिन उन्होंने अपनी दावेदारी के समर्थन की अपील किसी भी देश से नहीं की है। मूलत: भारत के हरियाणा से ताल्लुक रखने वाली आकांक्षा का परिवार विभाजन के दौरान पाकिस्तान से यहां आया था। उनका जन्म भारत में ही हुआ। लेकिन महज छह साल की उम्र में वह अपने माता-पिता के साथ सऊदी अरब चली गईं, जहां वे डॉक्टर थे। इस तरह उनका बचपन सऊदी अरब में बीता।
आकांक्षा 9 साल की उम्र में भारत लौटी थीं, जहां उन्होंने आगे की शिक्षा पूरी की। लेकिन 18 साल की उम्र में वह कनाडा चली गईं, जहां टोरंटो स्थित यॉर्क यूनिवर्सिटी से उन्होंने बैचलर ऑफ एडमिनिस्ट्रेटिव स्टडीज में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स की डिग्री ली और आगे चलकर संयुक्त राष्ट्र में ऑडिटर के तौर पर जुड़ीं।
आकांक्षा फिलहाल संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) में लेखा परीक्षा समन्वयक के तौर पर कार्यरत हैं। उनके पास ओवरसीज सिटीजनशिप ऑफ इंडिया (OCI) कार्ड है तो कनाडा की नागरिकता भी है। इसके बावजूद उन्होंने न तो भारत और न ही कानाडा से अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन की अपील की है। उन्होंने सोशल मीडिया के जरिये अपने लिए प्रचार की शुरुआत की है।
उनका कहना है कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव पद पर अब तक आसीन लोग इस वैश्विक संस्था को जवाबदेह बनाने में नाकाम रहे हैं। हालांकि किसी भी देश ने अभी तक यूएन महासचिव पद के लिए उनकी उम्मीदवारी का अनुमोदन नहीं किया है, लेकिन आकांक्षा का कहना है कि उनकी उम्मीदवारी से चयन प्रक्रिया में बदलाव आएगा और यही वजह है कि वह संयुक्त राष्ट्र महासचिव के पद का चुनाव लड़ना चाहती हैं।
विदेशी और प्रशासकीय मामलों में कम अनुभव को लेकर उठ रहे सवालों के बीच आकांक्षा का कहना है कि उनकी उम्र इस मामले में फायदेमंद साबित होगी। उन्होंने कहा कि दुनिया की करीब आधी आबादी की उम्र इस समय 30 साल से कम है। बकौल आकांक्षा, 'अगर आप कुछ अलग परिणाम देखना चाहते हैं तो आपको कुछ अलग करना भी होगा।'