नई दिल्ली: बृहस्पतिवार को काबुल एयरपोर्ट के पास हुए सिलसिले वार धमाकों में अब तक 90 लोगों की मौत हो चुकी है। इस हमले में 13 अमेरिकी सैनिक भी मारे गए हैं। जिसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि हमले में शामिल किसी को नहीं छोड़ने की बात कहीं है। काबुल एयरपोर्ट के पास हुए 2 धमाकों में आईएसआईएस-के (ISIS-K) का हाथ सामने आया है। काबुल में ऐसा हमला हो सकता है इसकी चेतावनी अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया ने करीब एक हफ्ते पहले ही दी थी। अहम बात यह है कि काबुल में हुए इस आतंकी हमले के बाद तालिबान ने आईएसआईएस-के से अपने संबंधों को नकार दिया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वाकई तालिबान सही कह रहा है ?
तालिबान ने पाकिस्तान से सीख लिया ?
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद खुद को अफगानिस्तान का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित कर चुके पूर्व उप राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने कहा है "तालिबान का आईएसआईएस-के से अपने संबंधों को नकारना उसी तरह है जैसे पाकिस्तान क्वेटा शुरा में करता है। तालिबान ने अपने मालिक से बहुत अच्छी तरह से सीख लिया है।" जाहिर है सालेह पाकिस्तान की बात कर रहे हैं।
कौन है ISIS-K
आईएसआईएस-के को इस्लामिक स्टेट खुरासान भी कहा जाता है जो इस्लामिक स्टेट समूह का क्षेत्रीय सहयोगी है वह अफगानिस्तान और पाकिस्तान में सक्रिय है। यह अफगानिस्तान के सभी जिहादी आतंकवादी समूहों में सबसे चरमपंथी और हिंसक है। इसकी स्थापना जनवरी 2015 में हुई थी। उस वक्त इराक और सीरिया में आईएसआईएस की शक्ति के चरम पर पहुंच गई थी और उसने ईराक और सीरिया में अपने को खलीफा घोषित कर दिया था। हालांकि बाद में अमेरिकी नेतृत्व वाले गठबंधन ने उसे लड़ाई में हराकर तबाह कर दिया था। ISIS-K लगातार अमेरिकी और दूसरे लोगों पर लंबे समय से हमले करता रहा है। तालिबान से कहीं अधिक कट्टरपंथी माने जाने वाले इस संगठन ने हाल के वर्षों में देश में कई नागरिक ठिकानों पर हमले किए हैं। इसके तहत उसने लड़कियों के स्कूलों, अस्पतालों और यहां तक कि एक प्रसूति वार्ड को भी निशाना बनाया है।
अफगानिस्तान में चार महीने में 77 आतंकी हमले
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की रिपोर्ट के अनुसार आईएसआईएस-के ने जनवरी से अप्रैल 2021 के बीच अफगानिस्तान में 77 आतंकी हमले किए है। जो कि पिछले साल के मुकाबले करीब तीन गुना ज्यादा है। इसके अलावा मई 2021 में काबुल के सैयद-अल-सुहादा स्कूल में हुए आतंकी हमले में आईएसआईएस-के का हाथ माना जाता है। उस हमले में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। हालांकि इस हमले की जिम्मेदारी आईएसआईएस-के ने नहीं ली थी। लेकिन अमेरिकी इंटेलिजेंस आईएसआईएस-के को ही इस हमले को जिम्मेदार मानता है।
हक्कानी नेटवर्क से है नाता
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की रिपोर्ट में "ISIS-Kऔर हक्कानी नेटवर्क के कनेक्शन की बात कही गई है। अमेरिका और सहयोगी सेनाओं के द्वारा तबाह किए जाने के बाद आईएसआईएस-के नेतृत्व में खालीपन आ गया था। लेकिन जून 2020 शहाब अल मुहाजिर काफी सक्रिय हो चुका है। रिपोर्ट के अनुसार अशरफ गनी सरकार ने दबाव में आकर अफगानिस्तान के विभिन्न जेलों में बंद 5494 तालिबानों को छोड़ दिया था। जिसमें से 720 युद्ध के मैदान में उतर गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार आईएसआईएस-के 1500 से 2000 आतंकी सक्रिय हैं।" साथ ही हक्कानी नेटवर्क के सीधे तार आईएसआई से जुड़े हुए यह जगजाहिर है।