नई दिल्ली : इराक की राजधानी बगदाद की इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर किए गए अमेरिकी रॉकेट हमले में ईरानी कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी मारा गया। कासिम सुलेमानी इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्पोरेशन का मेजर जनरल था और 1998 से अब तक वह ईरानी सेना का कमांडर के पद पर तैनात था।
बताया जा रहा है इराक के कद्स (Quads) फोर्स के प्रमुख मेजर जनरल कासिम सुलेमानी का काफिला बगदाद एयरपोर्ट की तरफ बढ़ रहा था उसी दौरान अमेरिकी सेना ने रॉकेट लॉन्चर से हवाई हमला कर दिया। इस हमले में सुलेमानी के अलावा इरान समर्थित सेना के डिप्टी कमांडर अबू मेहदी अल मुहादिस के भी मारे जाने की खबर है।
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एयरपोर्ट पर सुलेमानी को रिसीव करने गया था डिप्टी कमांडर, दोनों की मौत
सुलेमानी का विमान संभवत: लेबनान या सीरिया से पहुंचा था जिसके बाद मुहादिस उसे रिसीव करने के लिए एयरपोर्ट पर पहुंचा था। जब सुलेमानी और मुहादिस दोनों की मुलाकात एयरपोर्ट के बाहर हुई तो उसी समय ऐन मौके पर अमेरिकी सेना ने रॉकेट लॉन्च कर दिया जिसमें दोनों मारे गए।
सुलेमानी के मारे जाने की पुष्टि खुद ईरान की मीडिया रिपोर्ट ने की है। सुलेमानी पर सीरिया में अपनी सैन्य गतिविधियों के जरिए अपनी जड़े जमाने और इजरायल में रॉकेट हमला करने का आरोप था। इसके अलावा उसे पश्चिमी एशिया में ईरानी गतिविधियों को चलाने का प्रमुख रणनीतिकार माना जाता है।
ट्रंप के निर्देश पर हुआ हमला
व्हाइट हाउस ने ट्वीट कर इस बात की पुष्टि की है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश पर ही इराक में रॉकेट हमला किया गया जिसमें ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी मारा गया है।
क्यों निशाने पर था सुलेमानी
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘जनरल सुलेमानी सक्रिय रूप से इराक में अमेरिकी राजनयिकों और सैन्य कर्मियों पर हमले की सक्रिय रूप से योजना बना रहा था। जनरल सुलेमानी और उसका कुद्स फोर्स सैकड़ों अमेरिकियों और अन्य गठबंधन सहयोगियों के सदस्यों की मौत और हजारों को जख्मी करने के लिए जिम्मेदार हैं।
अंगूठी से पहचाना गया शव
सुलेमानी का शव उसकी अंगूठी से पहचाना जा सका जिसकी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही । इधर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और अमेरिकी सेना पेंटागन ने भी सुलेमानी के मारे जाने की पुष्टि कर दी है। ट्रंप ने बिना टेक्स्ट का बस अमेरिका झंडे की एक फोटो ट्वीट कर इस ऑपरेशन की सफलता का संकेत दिया है।
बगदादी की तरह कई बार उड़ी मौत की अफवाह
आपको बता दें कि बगदादी की तरह सुलेमानी की भी मौत की कई बार अफवाहें उड़ती रही है। सबसे पहली बार 2006 में उत्तर पश्चिमी ईरान में एक प्लेन क्रैश में सुलेमानी के मारे जाने की खबर आई थी जो बाद में अफवाह निकली। इसके बाद 6 साल बाद 2012 में सीरिया की राजधानी दमिश्क में हुए एक हवाई हमले में उसके मारे जाने की खबर आई जो झूठ निकली। एक बार फिर 2015 में सैन्य हवाई हमले में उसके मारे जाने की अफवाह उड़ी थी।
40 सालों से अमेरिका के लिए सिरदर्द था सुलेमानी
बताया जाता है कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का विरोधी था और कई बार उसने अमेरिका को चेतावनी दी थी। 1980 के दशक में इरान और इराक के बीच भयंकर युद्ध छिड़ा था जिसमें अमेरिका ने इराकी तानाशाह सद्दाम हुसैन की मदद की थी। उस समय से ही सुलेमानी और अमेरिका के बीच दुश्मनी का सिलसिला जारी था।
आईएस के खिलाफ कुर्द लड़ाके तैयार किए थे
इराक को आतंकवादी इस्लामिक स्टेट से बचाने के लिए सुलेमानी ने बड़े कदम उठाए थे। उसने ईरान समर्थित पॉप्युलर मोबिलाइजेशन फोर्स का गठन किया था जिसका डिप्टी कमांडर मुहादिस को बनाया था। आतंकी समूह आईएस से लड़के लिए सुलेमानी ने कुर्द लड़ाकों को तैयार किया। यहां तक कि सीरिया बशर-अल-असद सरकार को भी सुलेमानी का समर्थन प्राप्त था। इस तरह से सुलेमानी का मारा जाना ईरान के लिए एक बड़े झटके की तरह देखा जा रहा है।