संयुक्त राष्ट्र : विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव में जिन टीकों के आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दी है, उनमें कोवैक्सीन शामिल नहीं है। भारत के पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से निर्मित इस वैक्सीन को WHO से मंजूरी का लंबे समय से इंतजार है, जिस पर देश में राजनीति भी खूब हो रही है। इस बीच WHO के एक शीर्ष अधिकारी ने संकेत दिए हैं कि इसमें अभी कुछ और देरी हो सकती है।
भारत बायोटेक द्वारा निर्मित इस वैक्सीन को आपात स्थिति में इस्तेमाल करने वाले टीकों की सूची में डालने को लेकर आवेदन WHO के पास है। इस मसले पर 26 अक्टूबर को WHO में तकनीकी सलाहकार समूह की बैठक होनी है, जिसमें कोवैक्सीन पर फैसला लिए जाने की संभावना है।
इस बारे में पूछे जाने पर कि क्या 26 अक्टूबर तक 'कोवैक्सिन' को टीकों की आपात इस्तेमाल की सूची (EUL) में डालने पर कोई निश्चित उत्तर मिल पाएगा, WHO के स्वास्थ्य आपात स्थिति कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक डॉ. माइक रेयान ने कहा, 'किसी भी टीके के इस्तेमाल की अनुमति देने के फैसले के लिए टीके का पूरी तरह से मूल्यांकन करने और इसकी सिफारिश करने की प्रक्रिया में कभी-कभी अधिक समय लगता है। सबसे अधिक महत्वपूर्ण यह है कि दुनिया को सही सलाह ही दी जाए, भले ही इसमें एक या दो सप्ताह का समय अधिक लग जाए।'
यहां उल्लेखनीय है कि भारत में निर्मित कोविड-19 रोधी 'कोवैक्सीन' टीके को आपात स्थिति में इस्तेमाल करने वाले टीकों की सूची में शामिल करने के निर्णय के लंबित होने के बीच देश में इस पर सियासत भी शुरू हो गई है। कांग्रेस ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सवाल उठाया कि अगर यह वैक्सीन सभी मानकों पर खरी उतरी है तो आखिर अब तक इसे WHO से मंजूरी क्यों नहीं मिल पाई है। कांग्रेस ने यह भी कहा कि WHO से मंजूरी नहीं मिलने के कारण कोवैक्सीन लगवा चुके लोगों को विदेश यात्रा में समस्या पेश आ रही है।
कांग्रेस ने यह सवाल उस दिन उठाया, जब भारत में कोविड रोधी वैक्सीन की खुराक का आंकड़ा 100 करोड़ को पार कर गया। कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ जंग में नया कीर्तिमान रचते हुए भारत ने गुरुवार को यह उपलब्धि हासिल की, जिसके लिए उसे दुनियाभर से बधाइयां मिली। WHO ने भी इसके लिए भारत की तारीफ करते हुए कहा कि मजबूत राजनीतिक नेतृत्व, विभिन्न विभागों के तालमेल एवं स्वास्थ्य एवं फ्रंटलाइन वर्कर्स के प्रयास के चलते ही यह कीर्तिमान संभव हो सका है।