कोविड-19 पर चीन के रवैये से दुनिया के ज्यादातर देश तिलमिलाए हुए हैं। इन देशों का मानना है कि चीन ने कोरोना महामारी से जुड़े सही तथ्य सामने नहीं रखे और दुनिया को अंधेरे में रखा। देशों का कहना है कि इस महामारी के खिलाफ चीन ने समय पर दुनिया को आगाह किया होता तो इसके प्रकोप से बचा जा सकता था। चीन पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए दुनिया के देश अब उसके खिलाफ लामबंद होने लगे हैं। अमेरिका ने चीन पर 20 खरब डॉलर का जुर्माना भी लगाया है। बीजिंग के खिलाफ अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया से आवाजे उठ रही हैं। सभी इस महामारी के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराने की मंशा रखते हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सीधे तौर पर इस महामारी के लिए चीन को कटघरे में खड़ा करते आ रहे हैं। उन्होंने कहा है कि चीन ने जानबूझकर यदि कोविड-19 से जुड़ी जानकारियां छिपाई हैं तो उसे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। ट्रंप का कहना है कि वह अपना एक दल वुहान भेजना चाहते हैं लेकिन चीन इसकी इजाजत नहीं दे रहा है। अमेरिका की एक अदालत में चीन से हर्जाने के लिए 20 खरब डॉलर का मुकदमा दर्ज हुआ है। दुनिया के अन्य देशों में चीन के खिलाफ कसक जगने लगी है और इसी कारण वे लामबंद भी होने लगे हैं। वहीं, अपने खिलाफ देशों को एकजुट होता देख चीन ने फिलहाल चुप्पी साध रखी है। चीन ने कुछ दिनों पहले कहा कि वह तो इस महामारी से खुद पीड़ित है। बताया जा रहा है कि इस महामारी से दुनिया की अर्थव्यवस्था को करीब 6,5 ट्रिलियन का नुकसान हुआ है।
इस महामारी के बाद चीन की उल्टी गिनती होगी शुरू?
चीन की नीति एवं नीयत पर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं। उसकी साम्राज्यवादी एवं विस्तारवादी नीतियों से देश वाकिफ हैं। चीन के पड़ोसी देश उसके आक्रामक रवैये की आलोचना करते आए हैं। उइगर मुसलमान, हांग कांग में प्रदर्शन, वियतनाम के साथ उसकी तनातनी, इन सबको लेकर चीन की आलोचना पहले से हो रही है। अब कोविड-19 पर उसका रुख ने दुनिया को देशों को उसके खिलाफ आवाज उठाने के लिए और एकजुट कर दिया है। कोविड-19 के बाद दुनिया एक अहम मोड़ पर खड़ी है। इस महामारी ने सभी को एक सबक सिखाया है। चीन से झटका खाने के बाद देश उसके साथ अपने रिश्तों को नए तरीके से परिभाषित करने के लिए कदम उठाते हैं तो इसमें हैरानी नहीं होनी चाहिए।
भारत के लिए मौका
कोविड-19 के बाद यह माना जा रहा है कि चीन के खिलाफ दुनिया भर में एक माहौल बना है। खासकर चीनी उत्पादों को लेकर लोगों में एक संदेह और नफरत की भावना काम कर रही है। चीन के खिलाफ इस माहौल को भारत के लिए एक मौके के रूप में देखा जा रहा है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कुछ दिनों पहले कहा कि मौजूदा समय में चीन के खिलाफ 'बहुत नफरत' है जिसका भारत फायदा उठा सकता है। उन्होंने उद्योग से उन वस्तुओं के उत्पादन के अवसर का लाभ उठाने का आग्रह किया जिनके लिए भारत काफी हद तक चीन पर निर्भर है। योग गुरु बाबा रामदेव भी इस महामारी के लिए चीन को सबक सिखाने की बात कह चुके हैं। उन्होंने चीन को राजनैतिक और आर्थिक दंड दिए जाने की मांग की है। यह बात सही है कि चीन अपने उत्पादों से दुनिया के बाजार को पाट दिया है। उसके खिलाफ बने इस माहौल का लाभ भारत सहित अन्य देशों को उठाना चाहिए।
क्या चीन देगा हर्जाना
कोविड-19 से हुए नुकसान की भरपाई के लिए अमेरिका की एक अदालत में हर्जाने के रूप में 20 खरब डॉलर का एक केस दायर किया गया है। लेकिन सवाल है कि कोविड-19 पर क्या चीन ने किसी अंतरराष्ट्रीय संधि का उल्लंघन किया है जिसके लिए उसे आर्थिक या किसी तरह की सजा दी जा सकती है। कई लोगों का मानना है कि चीन ने संक्रामक बीमारी पर एक राष्ट्र के रूप में अपने दायित्वों को पूरा करने में असफल हुआ है और उसने अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन किया है। जहां तक मौजूदा अंतरराष्ट्रीय कानूनों की बात है तो अभी किसी अंतरराष्ट्रीय कानून में इस तरह की महामारी के फैलाव पर हर्जाना देने का कोई प्रावधान नहीं है। किसी देश के खिलाफ इस तरह का केस साबित करना काफी मुश्किल है। ऐसे में देशों की ओर से चीन से हर्जाने की मांग फिजूल साबित हो सकती है। यह बात अलग है कि कोविड-19 को लेकर अमेरिका सहित अन्य देश चीन पर अपना वर्चस्व बढ़ाने की कोशिश करेंगे।