World Population Day 2022: हर साल 11 जुलाई को दुनिया भर में जनसंख्या दिवस (विश्व जनसंख्या दिवस) मनाया जाता है। ऐसा बढ़ती आबादी की ओर तत्काल ध्यान आकर्षित करने के लिए किया जाता है।
पिछले तीन दशकों से मनाया जाने वाला यह दिन इस बात का विश्लेषण करने के लिए है कि दुनिया की आबादी हमारी योजनाओं और कार्यक्रमों को कैसे प्रभावित करती है और उनके प्रति व्यावहारिक समाधान ढूंढती है।
संयुक्त राष्ट्र (यूएन) इस दिवस को विश्व भर में आबादी से जुड़े मुद्दों के बारे में जानकारी और जागरूकता फैलाने के लिए एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में मान्यता देता है।
आबादी से जुड़े दिन पर ये बात बोले UN महासचिव
यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के मुताबिक, "आठ अरब की वैश्विक आबादी तक पहुंचना एक संख्यात्मक मील का पत्थर है, पर हमारा ध्यान हमेशा लोगों पर होना चाहिए। जिस दुनिया में हम निर्माण करने का प्रयास करते हैं, उसमें आठ अरब लोगों का मतलब है सम्मानजनक और पूरा जीवन जीने के लिए आठ अरब अवसर।"
कब हुई थी इस दिवस की शुरुआत?
विश्व जनसंख्या दिवस की स्थापना 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (United Nations Development Programme) की तत्कालीन शासी परिषद की तरफ से की गई थी। 11 जुलाई 1990 को यह दिवस पहली बार 90 से अधिक देशों में मनाया गया था और तभी से कई यूएनएफपीए राष्ट्रीय दफ्तरों के साथ बाकी संगठनों और संस्थानों ने सरकारों और नागरिक समाज के सहयोग से विश्व जनसंख्या दिवस मनाया है।
2022 की क्या रखी गई थी थीम?
दरअसल, हर साल इस दिवस से जुड़ी एक थीम रखी जाती है, जिसमें किसी एक चीज/मुद्दे पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इस साल यानी 2022 की की थीम है, "आठ बिलियन की दुनिया: सभी के लिए एक लचीला भविष्य की ओर - अवसरों का दोहन और सभी के लिए अधिकार और विकल्प सुनिश्चित करना है" (“A world of 8 billion: Towards a resilient future for all – Harnessing opportunities and ensuring rights and choices for all”)। जैसा कि इस विषय से ही पता चलता है कि आज करीब आठ अरब लोग हैं, लेकिन उनमें से सभी के पास समान अधिकार और अवसर नहीं हैं।
यूं दुनिया भर में मनाया जाता है विश्व जनसंख्या दिवस
ऐसा भी होता है कि बहुत से लोग अपने लिंग, जातीयता, वर्ग, धर्म, यौन अभिविन्यास, विकलांगता और मूल देश के आधार पर भेदभाव, उत्पीड़न और हिंसा का अनुभव करते रहते हैं। अधिक जनसंख्या के मुद्दे के कारण उभरते देशों में लैंगिक असमानता और मानवाधिकारों का उल्लंघन पहले से कहीं अधिक आम है। विश्व स्तर पर इस दिन को सेमिनार, चर्चा, शैक्षिक सत्र, सार्वजनिक प्रतियोगिताएं, नारे, कार्यशालाएं, वाद-विवाद, गीत आदि के आयोजनों के साथ मनाया जाता है।