सुलेमानिया शहर (इराक) : वर्षों बाद इस महीने की शुरुआत में यजीदी समुदाय की नौ महिलाओं पहली बार अपने 12 बच्चों से मिलीं। ये सभी बच्चे आईएसआईएस के आतंकवादियों के हैं। इस समुदाय के बुजुर्गों का कहना है कि ये महिलाएं तो उनकी हैं लेकिन वे बच्चों को नहीं अपना सकते क्योंकि उनका धर्म इस बात की इजाजत नहीं देता। बता दें कि अगस्त 2014 में आईएसआईएस ने उत्तरी इराक में स्थित धार्मिक रूप से अल्पसंख्यक यजीदी समुदाय के घरों पर हमले किए। इस दौरान आतंकवादियों ने हजारों यजीदी पुरुषों को कत्ल किया और सैकड़ों महिलाओं को अपने साथ ले गए।
यजीदी महिलाओं को सेक्स गुलाम बनाकर रखा
आतंकवादियों ने इन महिलाओं को सेक्स गुलाम बनाकर रखा और उन्हें तरह-तरह की यातनाएं दीं। आईएसआईएस की हार के बाद बहुत सारी महिलाएं अपने समुदाय में वापस आ गई हैं। हालांकि, अभी भी 3000 से ज्यादा महिलाएं लापता हैं। अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक इन बच्चों को अपनी माताओं से मिलाने में अमेरिकी राजनयिक पीटर गलब्रेथ, इराकी कुर्दिस्तान रिजनल गवर्न्मेंट और सीरिया के कुर्दिश अधिकारियों ने भूमिका निभाई है।
महिलाओं को बच्चों और समुदाय में से किसी एक को चुनना है
बिछड़े बच्चों को उनकी माताओं से मिलाने की इनकी कोशिशों को उस वक्त झटका लग गया जब यजीदी समुदाय के बुजुर्गों ने आईएसआईएस से पैदा हुए इन संतानों को अपनाने से इंकार कर दिया। बुजुर्गों के इस फैसले से यजीदी महिलाओं के सामने धर्मसंकट पैदा हो गया है। वर्षों तक आईएसआईएस की गुलामी, शारीरिक एवं मानसिक प्रताड़ना सहने वाली ये महिलाएं समझ नहीं पा रही हैं कि वे अब क्या करें। उनके सामने अपने समुदाय और अपनी संतानों में से किसी एक को चुनना पड़ रहा है।
'यजीदी माता-पिता से पैदा संतान ही यजीदी'
साल 2019 में आईएसआईएस की करारी हार होने और करीब-करीब उनके खात्मे के बाद समुदाय ने घोषणा की कि वे गुलाम औरतों को दोबारा अपनाएंगे लेकिन बच्चों को उनके साथ आने की इजाजत नहीं होगी। रिपोर्ट के मुताबिक यजीदी नेता जवाहर अली बेग ने फोन पर दिए गए एक इंटरव्यू में कहा, 'हमारे धर्म के सिद्धांतों के अनुसार यजीदी वही है जो यजीदी माता-पिता से पैदा हुआ हो। इसलिए हम आईएसआईएस के बच्चों को अपने समुदाय में शामिल नहीं कर सकते।' बेग ने बच्चों को उनकी माताओं से मिलाने की पहल को 'अस्वीकार्य' बताया।