प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की Qaud Meet से पहले भारत मे चीन के राजदूत सन वेइडोंग का ट्वीट किया है। भारत और चीन दोनों को पश्चिमी सोच के जाल में फंसने से खुद को बचाना होगा।चीन कभी भी अधिपत्य या विस्तार की मांग नहीं करेगा...भारत के कुछ लोगों को लगता है कि चीन उनके लिए सबसे बड़ा खतरा या फिर प्रतिद्वंद्वी है जो कि miscalculation है? भारत ताइवान, तिब्बत और दक्षिण चीन सागर में चीन के मूल हितों का सम्मान करेगा। सवाल यह है कि यह चीन की झुंझलाहट है या कोई नेक सलाह।
भारत- चीन सीमा का भी जिक्र
सीमा क्षेत्र में वर्तमान नें तनााव में कमी आई है आशा है कि भारतीय पक्ष स्थिति को स्थिरता की ओर ले जाने और इसे तत्काल विवाद समाधान से नियमित प्रबंधन और नियंत्रण में स्थानांतरित करने के लिए हमसे आधा मिल जाएगा, ताकि संयुक्त रूप से सीमा क्षेत्र में शांति और शांति की रक्षा की जा सके। चीनी राजदूत ने कहा कि हमें वास्तविक हालात को समझना होगा। किसी देश के बहकावे में या किसी ऐसे संगठन का हिस्सा नहीं होना चाहिए जो किसी तीसरे देश को निशाना बनाने के लिए हो।
चीन, भारत का विरोधी नहीं
चीन ने कहा कि भारत और उसकी समृद्ध इतिहास है। हमें इसे समझना होगा। चीन, भारत का प्रतिद्वंदी नहीं है, इस सच्चाई को समझना होगा। कुछ लोग ऐसे हैं जो इस तरह की भावना रखते हैं लेकिन सच को स्वीकार करना होगा। पश्चिमी देशों की मानसिकता यह है कि वो उन सभी व्यवस्थाओं तो ध्वस्त करें जो 21वीं सदी के में उभरती शक्तियां है, जो एक दूसरे के साथ मिलकर आगे बढ़ सकती हैं। लेकिन क्या यह सिर्फ क्वॉड के विरोध में कही गई बातें हैं। जानकार कहते हैं कि जितना मजबूत क्वॉड होगा इंडो पैसिफिक ओसन में उसके सामने दिक्कतें आएंगी। लेकिन भारत के लिहाज से शक्ति संतुलन के लिए क्वॉड का मजबूत होना जरूरी है, चीन इस सच को समझता है लिहाजा कभी चेतावनी वाली भाषा तो कभी भावनात्मक तरीके से अपनी बात रखता है।