अफगानिस्तान में तालिबान राज है। इस सरकार को खुले तौर पर दुनिया के कुछ देश ही समर्थन दे रहे हैं जिसमें चीन और पाकिस्तान विशेष रूप से शामिल हैं। तालिबान, अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज जरूर हैं लेकिन उनके अंदर गुटबाजी भी सामने आई है। भारत सरकार ने साफ किया है एक ऐसी सरकार जिसे जनमत हासिल ना हो वैधानिक नहीं हो सकती है। इस बीच नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारुक अब्दुल्ला ने एक खास बयान दिया जिसमें उन्होंने अफगानिस्तान में भारतीय निवेश का हवाला दिया है।
'मौजूदा अफगानी सरकार से भारत करे बातचीत'
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारुक अब्दुल्ला, तालिबान अब अफगानिस्तान में सत्ता में है। अफगानिस्तान में पिछले शासन के दौरान भारत ने विभिन्न परियोजनाओं पर अरबों खर्च किए। हमें मौजूदा अफगान शासन से बात करनी चाहिए। जब हमने देश में इतना निवेश कर दिया है तो उनसे संबंध रखने में क्या हर्ज है?
तालिबान के कई धड़ों में मतभेद
रिपोर्ट में हाल ही में बताया गया है कि यह बात सच है कि अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान काबिज है। लेकिन उसके कई धड़ों में आपसी मतभेद कायम है। मुल्ला अब्दुल गनी बरादर और हैबतुल्ला अखुंदजादा को लेकर तस्वीर साफ नहीं है। जिस तरह से तालिबान सरकार में हक्कानी नेटवर्क का दखल है वो दुनिया के लिए अच्छा संकेत नहीं माना जा रहा है। बताया जाता है कि बरादर की सोच यह थी कि तालिबान को कुछ सुधारवादी कदमों की तरफ आगे बढ़ना चाहिए जिससे दुनिया के बाकी मुल्क अफगानिस्तान सरकार को मान्यता दें और इसे लेकर अफगानी राष्ट्रपति के महल में झड़प भी हुई थी।