नई दिल्ली : कश्मीर पर पाकिस्तान इस कदर हताश और निराश हो चुका है कि अब वह सार्वजनिक एवं आधिकारिक रूप से ऐसे लोगों के साथ खड़ा हो रहा है जो अमेरिकी जेलों में सजा काट चुके हैं। दरअसल, पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी न्यूयॉर्क में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जम्मू-कश्मीर मूल के गुलाम नबी फई के साथ नजर आए। फई को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) का जासूस माना जाता है। अमेरिकी कानून तोड़ने के आरोप में फई को दो साल की सजा हुई थी। फई के साथ कुरैशी का वीडियो सामने आने के बाद पाकिस्तान के प्रोपगैंडा का एक बार फिर पर्दाफाश हो गया है।
फई पर कश्मीर पर अमेरिकी नीतियों को प्रभावित करने के आरोप हैं। इसके लिए वह अमेरिका में लॉबिंग एवं वहां के थिंक टैंक्स को प्रभावित करते आए हैं। आईएसआई इसके लिए फई को भारी राशि देती है। आईएसआई से मिली रकम छिपाने के लिए फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) ने 2011 में उन्हें गिरफ्तार किया। एफबीआई की पूछताछ में वह अपने पैसे के बारे में संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। इसके बाद कोर्ट ने फई को फेरा नियमों के उल्लंघन का दोषी पाते हुए उन्हें दो साल की सजा सुनाई।
जाहिर है कि कश्मीर पर लाख कोशिशों के बावजूद पाकिस्तान को समर्थन नहीं मिल रहा है। इससे पाकिस्तान में भारी हताशा का माहौल है। उसे ऐसे व्यक्ति के साथ खड़ा होने में भी कोई परेशानी नहीं है जो व्यक्ति कानून उल्लंघन का दोषी और अमेरिका की जेल में दो साल की सजा काट चुका हो। पाकिस्तान के विदेश मंत्री कुरैशी का एक सजायाफ्ता व्यक्ति के साथ खड़ा होना यह दिखाता है कि आतंकवाद पाकिस्तान की विदेश नीति का एक अहम हिस्सा है। पाकिस्तान, अमेरिका की धरती पर फई के साथ खड़ा होकर उसके कानूनों का अपमान कर रहा है।
फई अमेरिका में भारत विरोधी कश्मीरी लॉबी के प्रमुख हैं। वह कश्मीर मसले पर भारत सरकार के खिलाफ बड़े-बड़े कार्यक्रमों का आयोजन करते आए हैं। फई पर आरोप है कि उन्होंने कश्मीर पर अमेरिकी रुख को प्रभावित करने के लिए कम से कम 4 मिलियन डॉलर का इस्तेमाल किया।