नई दिल्ली : सिंध पुलिस के प्रमुख को अगवा किए जाने की रिपोर्टों के बाद कराची में उथल-पुथल मची हुई है। पुलिस अधिकारी के अपहरण होने की अफवाहों पर सिंध पुलिस और पाकिस्तानी सेना के बीच झड़प होने की बात सामने आई है। कराची के एक चार मंजिला इमारत में विस्फोट हुआ है। पाकिस्ताी मीडिया का कहना है कि इस विस्फोट में तीन लोगों की मौत हुई है। कुल मिलाकर पाकिस्तान के हालात इन दोनों बेहद नाजुक दौर में पहुंचते दिख रहे हैं। सेना और प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। पाकिस्तान के इतिहास में ऐसा पहली बार है जब आम जनता और विपक्ष दोनों सेना के खिलाफ एकजुट होकर प्रदर्शन कर रहे हैं। लोगों एवं विपक्ष की यह एकजुटता सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा और पीएम इमरान पर भारी पड़ रही है। दोनों अपने सबसे मुश्किल वक्त से दौर में हैं।
पाकिस्तान में यह सब कुछ ऐसे समय हो रहा है जब फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफटीएफ) की पेरिस में वर्चुअल बैठक हो रही है। इस बैठक में पाकिस्तान को 'ग्रे लिस्ट' से निकालकर 'ब्लैक लिस्ट' में रखा जाए या नहीं इस पर फैसला होना है। पाकिस्तान में अंदरूनी हालात काफी कराब हैं। महंगाई एवं भ्रष्टाचार से लोग त्रस्त हैं। लोगों का मानना है कि कोरोना, अर्थव्यवस्था, प्रशासन सभी मोर्चों पर इमरान खान सरकार नाकाम हो गई है।
इमरान खान के खिलाफ पिछले दिनों गुजरांवाला में प्रदर्शन हुआ। इसके बाद कराची में हुए प्रदर्शन में हजारों की संख्या लोग शामिल हुए। इमरान को सत्ता से बेदखल करने के लिए विपक्षी पार्टियों ने अपना गठबंधन बनाया है। इस गठबंधन में नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन, आसिफ अली जरदारी की पार्टी पीपीपी सहित चार बड़ी पार्टियां हैं। विपक्ष का कहना है कि इमरान खान 'सेलेक्टेड' पीएम हैं इसलिए उन्हें पद से हटाना चाहिए।
विपक्ष की मांग देश में वास्तविक लोकतंत्र बहाली की है। लोगों को लगता है कि देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं पर सेना का दखल बढ़ गया है और इससे कहीं न कहीं देश में भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिला है। लोकतांत्रिक संस्थाओं पर सेना के नियंत्रण, भ्रष्टाचार एवं महंगाई को लेकर आम लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। लोगों का मानना है कि देश के अंदरूनी हालात से इमरान सरकार निपट नहीं पा रही है। विपक्ष का कहना है कि सेना जब तक लोकतांत्रिक संस्थाओं में दखल देना और इमरान खान का समर्थन देना जारी रखेगी तब तक वे उसके खिलाफ अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे।
एफटीएफ की बैठक में यदि पाकिस्तान को 'ब्लैक लिस्ट' में डाल दिया जाता है तो उसके लिए यह बहुत बड़ा झटका होगा। इमरान सरकार चाहेगी कि वह 'ग्रे लिस्ट' से निकलने में सफल हो जाए। एफएटीएफ ने यदि इस बार उसे 'काली सूची' में डाल दिया तो पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शर्मसार होना पड़ेगा। पहले से हिचखोले खा रही अर्थव्यवस्था डवांडोल हो जाएगी। उसे वैश्विक संस्थाओं से कर्ज मिलना बंद हो जाएगा और निवेशक उससे दूरी बना लेंगे। पाकिस्तान की पूरी कोशिश है कि वह इस 'ग्रे सूची' से निकले। अब तक पाकिस्तान तुर्की, मलेशिया और चीन के हस्तक्षेप एवं प्रभाव के चलते 'काली सूची' में जाने से बचता रहा है।