- कोरोना वायरस और लॉकडाउन की सबसे ज्यादा मार मजदूर वर्ग पर पड़ी
- लॉकडाउन में लोगों के रोजगार छिन गए और रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया
- 1 जून से देश में अनलॉक लागू किया गया है, अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया जा रहा है
भोपाल: गरीब पर कोरोना वायरस कहर बनकर गिरा है। मध्य प्रदेश के भोपाल की एक महिला ने दावा किया है कि लॉकडाउन में उसे अपना मंगलसूत्र गिरवी रखना पड़ा। महिला एक मंदिर के बाहर प्रसाद बेचती थी, लेकिन लॉकडाउन में सबकुछ बंद हो गया, जिसके बाद उसके पास पैसे नहीं बचे। ऐसे में अपने परिवार को खिलाने के लिए उसे अपने मंगलसूत्र को गिरवी रखने के लिए मजबूर होना पड़ा।
कौशल्या पाटिल ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया कि उसने अपना मंगलसूत्र 5,000 रुपए में बेच दिया था। मुझे आशा है कि श्रद्धालु फिर से मंदिर आना शुरू करेंगे। लेकिन, अगर स्थिति नहीं बदलती है, तो कोरोनो वायरस न सही पर भूख हमें मार देगी। मेरे पति भी लकवाग्रस्त हैं। मैंने अब अपना मंगलसूत्र परिवार को खिलाने के लिए 5,000 रुपए में बेच दिया। मेरा बेटा पेट्रोल पंप पर काम करता है। उसे बहुत कम वेतन मिलता है जिससे मैं घर चला पा रही हूं।
सरकार की योजनाओं से मिलेगा लाभ?
कौशल्या एक झुग्गी में रहती है जो विधानसभा सचिवालय से कुछ ही मीटर की दूरी पर है। हाल ही में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्ट्रीट वेंडर पंजीकरण पोर्टल और मुख्यमंत्री शहरी पथ व्यवसाय उत्थान योजना शुरू की। राज्य सरकार ने शहरी स्थानीय निकायों को 300 करोड़ रुपए भी हस्तांतरित किए। केंद्र ने कुल 5,000 करोड़ रुपए की एक विशेष ऋण सुविधा भी शुरू की है जो इन जरूरतमंद विक्रेताओं को प्रारंभिक कार्यशील पूंजी के रूप में 10,000 रुपए प्रदान करेगी।
फिर खुले मंदिर
हालांकि अब 8 जून से एक बार फिर मंदिरों को खोलने की इजाजत दे दी गई है। लेकिन ये कहना मुश्किल है कि मंदिरों में पहले जैसी भीड़ जुटेगी। इसके साथ ही अब कई सावधानियों के साथ मंदिरों में पूजा-पाठ होगी। संभव है कि कौशल्या का काम पटरी पर आने में समय लगाए। धार्मिक स्थल पर प्रसाद वितरण भी अभी नहीं किया जाएगा।