नई दिल्ली। राजस्व सचिव तरुण बजाज ने सोमवार को कहा कि सरकार की विलासिता वाले उत्पादों (Luxury and Sin Goods) पर 28 प्रतिशत की जीएसटी दर को ही कायम रखने की मंशा है। हालांकि, लेकिन वह कर की तीन अन्य श्रेणियों को दो श्रेणियों में बदलने पर चर्चा करने के लिए तैयार है। बजाज ने यहां उद्योग मंडल एसोचैम के एक कार्यक्रम में कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों को युक्तिसंगत बनाने की जीएसटी परिषद की कवायद कर प्रणाली के पांच साल बाद आत्मावलोकन का नतीजा है। उन्होंने कहा कि नीति-निर्माताओं को कर दरें 15.5 प्रतिशत के राजस्व-तटस्थ स्तर तक ले जाने की कोई उत्कंठा नहीं है।
पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग
पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग पर उन्होंने कहा कि ईंधन पर लगने वाला कर केंद्र एवं राज्य सरकारों के राजस्व का एक बड़ा हिस्सा होता है लिहाजा इसे लेकर कुछ आशंकाएं भी हैं। उन्होंने कहा, 'हमें इसके लिए कुछ वक्त इंतजार करना होगा।'
जीएसटी के कर ढांचे पर क्या बोले राजस्व सचिव?
बजाज ने कहा, 'जहां तक जीएसटी के कर ढांचे का सवाल है तो पांच, 12, 18 और 28 प्रतिशत की दरों में से हमें 28 प्रतिशत की दर बरकरार रखनी होगी। एक विकासशील एवं आय असमानता वाली अर्थव्यवस्था में कुछ ऐसे लग्जरी उत्पाद होते हैं जिन पर ऊंची कर दर लगाए जाने की जरूरत है।'
उन्होंने कहा, 'हालांकि अन्य तीन कर दरों को हम दो दरों में समायोजित कर सकते हैं। इस तरह हम यह देख सकते हैं कि देश किस तरह आगे बढ़ता है और क्या इन दरों को कम कर सिर्फ एक दर पर लाया जा सकता है या नहीं। यह एक बहुत बड़ी चुनौती है।'
प्रणाली के तहत टैक्स की चार दरें
जीएसटी प्रणाली के तहत कर की चार दरें हैं। इनमें जरूरत वाली चीजों पर पांच प्रतिशत की निम्नतम दर से कर लगता है। वहीं विलासिता वाली वस्तुओं पर अधिकतम 28 फीसदी की दर से कर लगता है। इस कर की दो अन्य दरें 12 एवं 18 प्रतिशत हैं।
इसके अलावा सोना, आभूषण एवं रत्नों के लिए तीन प्रतिशत की एक विशेष दर रखी गई है जबकि तराशे हुए हीरों पर 1.5 फीसदी की दर से जीएसटी लगता है।
जीएसटी परिषद ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की अध्यक्षता में एक मंत्री समूह बनाया है जो कर दरों को युक्तिसंगत बनाने पर गौर कर रहा है। मंत्री समूह को अंतिम रिपोर्ट देने के लिए तीन महीने का अतिरिक्त समय दिया गया है।
राजस्व सचिव ने कहा कि जीएसटी प्रणाली के लागू होने के पांच साल बाद अब आत्मावलोकन का समय है ताकि यह देखा जा सके कि जीएसटी दर ढांचा किस तरह विकसित हुआ है। इस दौरान इसपर भी गौर किया जाना चाहिए कि दरों की संख्या में कटौती करने की जरूरत है या नहीं। इसके अलावा किन उत्पादों पर अधिक कर लगाया जाना चाहिए और किन उत्पादों को निचले स्लैब में रखना चाहिए।
बजाज ने कहा, 'मुझे लगता है कि नीति-निर्माता के तौर पर हम और राज्य सरकारें इस समय जीएसटी को इसी नजरिये से देख रहे हैं। हम इसे राजस्व तटस्थ दर 15.5 फीसदी के करीब ले जाने के लिए कुछ उत्पादों की दरें बढ़ाने के बारे में नहीं सोच रहे हैं।'