- डीजल के निर्यात पर टैक्स की दर 13 रुपये प्रति लीटर है
- उत्पाद शुल्क में कटौती से सरकार को होगा एक साल में एक लाख करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान
- डोमेस्टिक स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर 23,250 रुपये प्रति टन का टैक्स लगाया गया है
नई दिल्ली। हाल ही में कई रिफाइनरी कंपनियों द्वारा ज्यादा कमाई करने के चक्कर में घरेलू बाजार में तेल की कमी आ गई थी। ज्यादा लाभ के लिए रिफाइनरियां विश्व स्तर पर निर्यात करती हैं और इसकी वजह से घरेलू बाजार में तेल की कमी हो रही है। ऐसे में भारत सरकार ने पेट्रोल, डीजल के निर्यात पर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क लगा दिया है। केंद्र सरकार ईंधन पर हाल में लागू किए गए अप्रत्याशित लाभ कर की हर पखवाड़े समीक्षा करेगी।
इस संदर्भ में एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि विदेशी मुद्रा विनिमय दर और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत (Crude Oil) के आधार पर यह समीक्षा की जाएगी।
राजस्व सचिव तरुण बजाज (Tarun Bajaj) ने कहा है कि ग्लोबल तेल दरों को देखते हुए उपकर को वापस लेने के लिए तेल की कीमत 40 डॉलर प्रति बैरल होनी चाहिए, जो फिलहाल अवास्तविक है।
पेट्रोल-डीजल पर कंपनियां कर रहीं हैं खेल ! इसलिए हुआ ये बड़ा फैसला
उल्लेखनीय है कि एक जुलाई से भारत ग्लोबल स्तर पर उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जहां एनर्जी की बढ़ती कीमत से पेट्रोलियम कंपनियों को होने वाले अप्रत्याशित लाभ पर टैक्स लगाया जाता है।
मई में हुई थी उत्पाद शुल्क में कटौती
देश में एटीएफ का दाम रिकॉर्ड हाई पर है। इसी साल मई में सरकार ने पेट्रोल पर आठ रुपये प्रति लीटर के उत्पाद शुल्क की कटौती की घोषणा की थी। वहीं डीजल के उत्पाद शुल्क छह रुपये प्रति लीटर की कमी का ऐलान किया गया था। इस दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने कहा था कि उत्पाद शुल्क में कटौती से सरकार को एक साल में एक लाख करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा।