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Mutual fund : डाइवर्सिफाइड म्यूच्यूअल फंड पोर्टफोलियो बनाने के 5 महत्वपूर्ण टिप्स

Updated Oct 22, 2020 | 06:15 IST

इन्वेस्टमेंट डायवर्सिफिकेशन, पोर्टफोलियो रिस्क को मैनेज करने का बहुत बढ़िया तरीका है। जानिए म्यूच्यूअल फंड पोर्टफोलियो बनाने से जुड़े कुछ टिप्स बताए गए हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
कैसे बनाएं डाइवर्सिफाइड म्यूच्यूअल फंड

मार्केट में मौजूद किसी भी इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट में अपनी मेहनत की कमाई इन्वेस्ट करते समय रिस्क मैनेजमेंट बहुत जरूरी होता है। इन्वेस्टमेंट रिस्क को मैनेज करते समय, आपको अपनी वास्तविक रिस्क सहनशीलता, अपनी रिटर्न उम्मीद जो समय पर आपके फाइनेंसियल लक्ष्यों को पूरा करने में मदद कर सके, और इन्वेस्टमेंट रिस्क के अनुसार रिटर्न मिल रहा है या नहीं, इत्यादि के बारे में पता होना चाहिए। इन्वेस्टमेंट डायवर्सिफिकेशन, पोर्टफोलियो रिस्क को मैनेज करने का बहुत बढ़िया तरीका है, खास तौर पर म्यूच्यूअल फंड्स जैसे मार्केट-लिंक्ड प्रोडक्ट्स में इन्वेस्ट करते समय। 

लेकिन, कई इन्वेस्टरों को यह गलतफहमी है कि डायवर्सिफिकेशन और कुछ नहीं बल्कि एक से अधिक इंस्ट्रूमेंट्स में इन्वेस्ट करना है जिससे वे ढेर सारे प्रोडक्ट्स और स्कीम्स में इन्वेस्ट कर बैठते हैं। लेकिन, बहुत ज्यादा इंस्ट्रूमेंट्स में इन्वेस्ट करना, ओवर-डायवर्सिफिकेशन कहलाता है जिससे सभी इन्वेस्टमेंट्स को मैनेज करना मुश्किल तो होता ही है, पोर्टफोलियो की रिटर्न क्षमता भी कम हो जाती है। अब, आप सोच रहे होंगे कि सही डायवर्सिफिकेशन क्या है और म्यूच्यूअल फंड्स में इन्वेस्ट करते समय पर्याप्त डायवर्सिफिकेशन कैसे किया जा सकता है? इसमें आपकी मदद करने के लिए यहाँ एक उचित डाइवर्सिफाइड म्यूच्यूअल फंड पोर्टफोलियो बनाने से जुड़े कुछ टिप्स बताए गए हैं।

अलग-अलग स्कीम्स में सही इन्वेस्टमेंट बैलेंस बनाए रखें

डायवर्सिफिकेशन सम्बन्धी जरूरतें, इन्वेस्टर्स की उम्र, रिस्क क्षमता और रिटर्न उम्मीद के आधार पर अलग-अलग हो सकती हैं। एक नौजवान इन्वेस्टर को इक्विटी स्कीम्स में, जबकि रिटायर होने वाले इन्वेस्टर को डेब्ट स्कीम्स में, ज्यादा एक्सपोजर वाले डायवर्सिफिकेशन की जरूरत पड़ सकती है। एक विशेष एसेट क्लास में एक्सपोजर, इन्वेस्टर की उम्र के आधार पर ज्यादा हो सकती है लेकिन उसी एसेट क्लास के भीतर, अलग-अलग स्कीम्स में फंड का पर्याप्त वितरण होना चाहिए। मान लीजिए, आप एक नौजवान इन्वेस्टर हैं और आपने इक्विटी स्कीम्स में अपने पोर्टफोलियो का 80% और डेब्ट में 20% इन्वेस्ट किया है। अब, इक्विटी स्कीम्स में 80% में से, एक ही फंड में पूरा पैसा आवंटित करने के बजाय उसे अपनी रिटर्न उम्मीद के अनुसार स्मॉल, मिड और लार्ज-कैप इक्विटी म्यूच्यूअल फंड्स में आवंटित करना चाहिए। अलग-अलग एसेट क्लास में फंड आवंटन का अनुपात, इन्वेस्टर की उम्र और रिस्क चाहत में बदलाव के साथ धीरे-धीरे बदलते रहना चाहिए।

स्टॉक होल्डिंग्स में भिन्नता रखें

अपने पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई करते समय, आपको अपनी म्यूच्यूअल फंड स्कीम्स के स्टॉक होल्डिंग्स पर करीब से गौर करना चाहिए। एक जैसी दो स्कीम्स से दूर रहें यदि उनका स्टॉक होल्डिंग पैटर्न एक समान या एक जैसा है। एकाधिक स्कीम्स में एक समान स्टॉक होल्डिंग्स, आपके डायवर्सिफिकेशन प्लान को बर्बाद कर सकता है क्योंकि ऐसी स्कीम्स, मार्केट वोलेटाइल होने पर, एक समान रिएक्शन देंगे। असमान स्टॉक होल्डिंग्स वाली स्कीम्स में इन्वेस्ट करने पर, कम पोर्टफोलियो ओवरलैप के साथ बेहतर डायवर्सिफिकेशन मिल सकता है और रिस्क-रिवार्ड अनुपात भी बेहतर रह सकता है।

अलग-अलग AMCsचुनें

एक ही एसेट मैनेजमेंट कंपनी और फंड मैनेजर के माध्यम से म्यूच्यूअल फंड स्कीम्स में सारा पैसा इन्वेस्ट करने पर, आपके इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो का रिस्क-रिवार्ड अनुपात समतल रह सकता है क्योंकि एक विशेष परिस्थिति में फंड मैनेजर का नजरिया हर बार एक जैसा रहेगा। लेकिन, अलग-अलग AMCs और अलग-अलग फंड मैनेजर्स के माध्यम से म्यूच्यूअल फंड्स में इन्वेस्ट करने पर, मार्केट वोलेटाइल होने पर, आप उनके परफॉरमेंस को बेहतर ढंग से एवरेज आउट कर पाएंगे।

इन्वेस्टमेंट्स, अलग-अलग टाइम होराइजन में डाइवर्सिफाइड होना चाहिए

एक बेहतर डायवर्सिफिकेशन के लिए, आपका इन्वेस्टमेंट, अलग-अलग स्कीम्स और अलग-अलग टाइम होराइजन में डाइवर्सिफाइड होना चाहिए। कम और लम्बे-समय में रिस्क लेवल, अलग-अलग होता है। अलग-अलग टाइम होराइजन वाली दो स्कीम्स में इन्वेस्ट करने पर, रिस्क को अधिक कार्यकुशलतापूर्वक एवरेज आउट करने में मदद मिलती है।

अलग-अलग अन्तर्निहित बेंचमार्क्स में डाइवर्सिफाई करें

एक ही बेंचमार्क वाली म्यूच्यूअल फंड्स स्कीम्स में सारा पैसा इन्वेस्ट करने पर, उनके बेचमार्क से जुड़ा रिस्क, एक जैसा रहने के कारण, उनका परफॉरमेंस एक जैसा रह सकता है। लेकिन, अलग-अलग बेंचमार्क्स जैसे CNX 50, BSE 100, इत्यादि वाली अलग-अलग म्यूच्यूअल फंड स्कीम्स में इन्वेस्ट करने पर, ऐसे बेंचमार्क्स से जुड़ा रिस्क, अलग-अलग होगा और आपका इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो, बेहतर ढंग से डाइवर्सिफाइड होगा।डायवर्सिफिकेशन सिर्फ एक बार किया जाने वाला कार्य नहीं बल्कि हमेशा की जाने वाली एक निरंतर प्रक्रिया है। अपने दम पर सही ढंग से अपना पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाई करने में असमर्थ होने पर, एक सर्टिफाइड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर की मदद लेनी चाहिए।

इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है। बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर सलाह लें।) ( ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)

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