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अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने कहा- संभावना है कि 2020-21 में विकास 1947 के बाद सबसे कम होगा

Updated Aug 09, 2020 | 23:27 IST

Kaushik Basu: विश्व बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री और कॉर्नेल विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर कौशिक बसु ने कहा है कि ऐसी संभावना है कि 2020-21 में विकास 1947 के बाद सबसे कम होगा।

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अर्थशास्त्री कौशिक बसु
मुख्य बातें
  • विश्व बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता जाहिर की है
  • संभावना है कि 2020-21 में विकास 1947 के बाद सबसे कम होगा: कौशिक बसु

नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी ने दुनियाभर की अर्थव्यवस्था को बेहद प्रभावित किया है। विश्व बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री, कौशिक बसु ने कहा है कि दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं और विशेष रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत नाजुक है। उन्होंने कहा है कि संभावना है कि 2020-21 में विकास 1947 के बाद सबसे कम होगा। कॉर्नेल विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर बसु ने प्रमुख नीतिगत पहलों की बात की है।

कौशिक बसु ने ट्वीट किया, 'सभी अर्थव्यवस्थाओं की हालत बुरी है और भारत विशेष रूप से ऐसा है। यह संभावना है कि 2020-21 में विकास 1947 के बाद सबसे कम होगा। इस तरह के विकास के लिए एकमात्र समानताएं औपनिवेशिक समय में थीं। विभाजनकारी और विश्वास की कमी निवेश और रोजगार सृजन को नुकसान पहुंचा रही है। ये समय प्रमुख नीतिगत पहलों के लिए है।' 

कौशिक बसु भारतीय अर्थशास्त्री हैं और अमेरिका में रहते हैं। वे 2009-12 में यूपीए सरकार के दौरान भारत सरकार में प्रमुख अर्थशास्त्री के पद पर कार्यरत थे। फिर वे 2012 से 2016 तक के लिए विश्व बैंक के प्रमुख अर्थशास्त्री चुने गए। बसु को 2008 में भारत सरकार द्वारा साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। 

'अर्थव्यवस्था अकेले आर्थिक नीति पर निर्भर नहीं करती'

इससे पहले बसु ने कहा था कि किसी देश की आर्थिक वृद्धि सामाजिक मानदंडों, राजनीतिक संस्कृति और संस्थानों पर निर्भर करती है और ये 2016 से भारत में खराब हो रहे हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यदि इन चीजों में सुधार नहीं हुआ तो भारतीय सपना समाप्त हो जाएगा। बसु ने आरोप लगाया कि सामाजिक सामंजस्य के टूटने से भारत आहत होने लगा है। भारत की तेज आर्थिक मंदी कोविड 19 महामारी से दो साल पहले शुरू हुई थी। अर्थव्यवस्था अकेले आर्थिक नीति पर निर्भर नहीं करती है।

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