- आपात स्थिति के लिए अधिक बचत की योजना बना रहे लोग
- लोगों का गैर-जरूरी खर्च बंद करने पर है जोर
- ईएमआई का बोझ भी कम करेंगे लोग
नई दिल्ली: लगभग 45 फीसदी भारतीय कोविड-19 के बाद आर्थिक सुधार के बारे में अनिश्चित हैं और कम से कम एक साल के लिए धीमी गति से वृद्धि का अनुमान लगा रहे हैं। एक सर्वे में यह तथ्य सामने आया है। इससे निजी वित्तीय मामलों को लेकर उनके बदले रुख से पता चलता है। डिजिटल धन प्रबंधन सेवा प्रदाता स्क्रिपबॉक्स द्वारा जुलाई में किए गए इस सर्वेक्षण में 1,400 से अधिक वयस्क भारतीयों की राय ली गई। इनमें से 83 प्रतिशत पुरुष और 17 प्रतिशत महिलायें रहीं।
स्क्रिपबॉक्स के फाइनेंशियल फ्रीडम सर्वे-2020 के अनुसार, 50 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने गैर-जरूरी खर्च बंद करने और किसी आपात स्थिति के लिए अधिक बचत की योजना बनाई है। इसके अलावा सर्वे में कहा गया है कि 28 प्रतिशत लोग गैर-आवश्यक चीजों पर खर्च में कटौती करेंगे, 22 प्रतिशत लोग किसी आपातकालीन स्थिति के लिए अधिक बचत करेंगे और 10 प्रतिशत ईएमआई बोझ को कम करेंगे।
सर्वेक्षण में कहा गया है, 'यह वित्तीय दिक्कतों का समय है। लगभग हर दो भारतीय में से एक (45 प्रतिशत) अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर अनिश्चित है और कम से कम एक वर्ष के लिए धीमी वृद्धि का अनुमान कर रहा है।' सर्वे में शामिल लगभग 44 प्रतिशत लोग मासिक आय के 15 से 30 प्रतिशत के बराबर ईएमआई भर रहे हैं, जबकि 11 प्रतिशत लोग मासिक आय के 50 प्रतिशत से अधिक ईएमआई भर रहे हैं।
सर्वेक्षण में सामने आया कि कोविड-19 महामारी ने भारतीयों को अधिक बचत करने के लिए प्रेरित किया है।