नई दिल्ली। जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 और यूक्रेन युद्ध जैसे संकटों का मुकाबला करने की क्षमता विकसित करने में असफल रहने पर वार्षिक वैश्विक जीडीपी वृद्धि में एक-पांच प्रतिशत तक का नुकसान हो सकता है।
बेहतर ढंग से काम करने की जरूरत
विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के एक नए शोध में शुक्रवार को यह बात कही गई। डब्ल्यूईएफ ने कहा, ‘‘जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 और यूक्रेन में युद्ध जैसे संकटों से दुनिया भर में भुख, विस्थापन और असमानता से लेकर आपूर्ति श्रृंखला में बाधा, ऊर्जा कीमतों में बढ़ोतरी और वैश्विक वृद्धि पर दबाव जैसी बाधाएं पैदा हो रही हैं। कंपनियों और देशों को जोखिम प्रबंधन पर बेहतर ढंग से काम करने की जरूरत है ताकि वे अगले संकट के लिए बेहतर ढंग से तैयार रहें।’’
वैश्विक जीडीपी वृद्धि में हो सकता है नुकसान
दावोस में होने वाली डब्ल्यूईएफ की वार्षिक बैठक से पहले जारी इस शोध रिपोर्ट में कहा गया कि संकट का मुकाबला करने की क्षमता विकसित करने में असफल रहने पर वार्षिक वैश्विक जीडीपी वृद्धि में एक से पांच प्रतिशत तक का नुकसान हो सकता है।
उदाहरण के तौर पर, कोविड-19 के कारण कार्यबल में छंटनी से कुछ देशों में वृद्धि 3.6 प्रतिशत तक प्रभावित हुई, जबकि ऊर्जा संकट तथा आपूर्ति श्रृंखला बाधित होने से वैश्विक जीडीपी वृद्धि में 1-2.5 प्रतिशत तक कमी आई। डब्ल्यूईएफ के अध्यक्ष बोर्गे ब्रेंडे ने कहा कि इस पीढ़ी के लिए क्षमता को अधिक लचीला बनाना जरूरी हो गया है।