- बैंक अपने बल्क कस्टमर (Bulk Customer) को Door Step Banking सर्विस के तहत सिक्के, उनके घर पर पहुंचा सकेंगे।
- पुराने सिक्के और नोट बेचने के नाम पर कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म कर रहे हैं फ्रॉड
- सिक्के घर पहुंचाने की सुविधा उन्हीं ग्राहकों को मिलेगी, जो कि बैंक के केवाईसी कंप्लायंस को पूरा करेंगे।
नई दिल्ली। अब जल्द ही बैंक अपने ग्राहकों को "डोर स्टेप बैंकिंग" के तहत घर पर सिक्के पहुंचाएगें। आरबीआई ने बैंकों को अपने बल्क कस्टमर (Bulk Customer)के लिए इस तरह की नीति बनाने की मंजूरी दे दी है। आरबीआई के सर्कुलर के अनुसार बैंक बिजनेस लेन-देन के लिए अपने ग्राहकों को यह सुविधा दे सकते हैं। इसके लिए बैंक अपने निदेशक मंडल से नीति की मंजूरी ले सकता है। जिसके आधार पर बैंक, सिक्के देने संबंधी विस्तृत नियम तैयार कर सकेंगे।
आरबीआई के अनुसार सिक्कों को डोर स्टेप बैंकिंग के जरिए सिक्के पहुंचाने की सुविधा उन्हीं ग्राहकों को मिलेगी, जो कि बैंक के केवाईसी कंप्लायंस को पूरा करते हैं। साथ ही जब बैंक ऐसे कस्टमर को सिक्के देगा, तो उसका पूरा रिकॉर्ड भी उसे मेंटेन करना होगा। इसके अलावा बैंक ने यह भी कहा है कि किसी तरह की धोखाधड़ी को रोकने के लिए बैंक अपने ड्यू-डिलिजेंस प्रक्रिया को भी अपनाएं।
सिक्के देने के लिए बैंकों को इंसेटिव
आरबीआई ने सिक्के के लेन-देन बढ़ाने के लिए बैंकों के इंसेटिंव भी बढ़ा दिए हैं। इसके तहत अब बैंकों को एक सितंबर से प्रति बैग 65 रुपये इंसेटिव मिलेगा। अभी तक बैंकों को 25 रुपये इंसेटिव मिलता था। इसके अलावा ग्रामीण और छोटे शहरों में इस तरह के लेन-देन पर 10 रुपये का अतिरिक्त इंसेटिव दिया जाएगा।
पुराने नोट और सिक्कों के नाम पर फ्रॉड
आरबीआई ने एक सर्कुलर में यह भी कहा है कि यह पाया गया है कि कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म भारतीय रिजर्व बैंक के नाम पर फर्जी लोगो (logo) या आरबीआई का नाम इस्तेमाल कर रहे हैं। जिसके जरिए पुराने नोट और सिक्कों के लेन-देन पर कमीशन या शुल्क ले रहे हैं। जो कि पूरी तरह से गलत है। आरबीआई ने कहा है कि वह पुराने नोट और सिक्कों के लेन-देन पर किसी तरह का कोई शुल्क या कमीशन नहीं लेता है। साथ ही आरबीआई ने किसी भी प्लेटफॉर्म को इस तरह के लेन-देन की अनुमति नहीं दी है। इसलिए लोगों को इस तरह के फ्रॉड का शिकार नहीं होना पड़ेगा।
असल में पुराने नोट और सिक्कों का लोग बड़े पैमाने पर कलेक्शन करते हैं। ऐसे में कई लोग इसके लिए मुंहमागी कीमत देने को तैयार रहते है। इसी का कुछ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म फायदा उठाते हैं। और ऐसे नोट और सिक्के के लेन-देन पर आरबीआई के नाम पर फर्जी तरीके से कमीशन या शुल्क लेते हैं।