बजट 2021 में निवेश टैक्सेशन से संबंधित दो घोषणाएं हाई-एंड इन्वेस्टर्स को शायद परेशान कर दे। ये यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस पॉलिसी (ULIPs) से लाभ और प्रोविडेंट फंड इन्वेस्टमेंट (भविष्य निधि निवेश) से ब्याज आय के टैक्सेशन हैं।
यूलिप्स अब टैक्स योग्य (टैक्सेबल) है
घोषणा: अगर आपने 1 फरवरी 2021 को या उससे पहले सालाना प्रीमियम 2.5 लाख रुपए से अधिक के साथ यूलिप खरीदा है, तो यह लॉन्ग-टर्म रिटर्न, इक्विटी म्यूचुअल फंड के समान ही टैक्सेबल होगा। मृत्यु लाभ की बात करें तो बिना किसी परेशानी के, आपके नॉमिनी के हाथों में पूरा पैसा आ जाएगा और उस कोई सीमा नहीं होगी। 1 फरवरी 2021 से पहले खरीदे गए यूलिप को टैक्स छूट दी गई और यूलिप जिनके सालाना प्रीमियम 2.5 लाख रुपए से कम है उन्हें भी इस नए नियम से छूट मिलेगी।
विश्लेषण: 2018 में, इक्विटी से लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) पर 10% टैक्स की शुरुआत ने इक्विटी म्यूचुअल फंड की तुलना में यूलिप को तुरंत आकर्षक बना दिया था। 2018 से पहले इक्विटी में निवेश पर एलटीसीजी पर कोई टैक्स नहीं था। कम से कम जहां तक टैक्सेशन का संबंध है, अब, दोनों निवेश विकल्प समान ही हैं।
दृष्टिकोण: अगर आप केवल एलटीसीजी से बचने के लिए यूलिप में निवेश करने वाले थे अब यह इरादा बदल दें। अब आप ओपन-एंडेड इक्विटी फंड में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं, जहां आपको बिना लॉक-इन के समान रिटर्न का लाभ मिलेगा। अगर आपने 1 फरवरी को यूलिप खरीदी थी और अब इस फैसले पर पछता रहे हैं, तो आप फ्री-लुक पीरियड में पॉलिसी वापस कर सकते हैं और रिफंड क्लेम कर सकते हैं। दूसरा, अगर आप अपनी पहली जीवन बीमा पॉलिसी खरीदने जा रहे हैं, तो आपको टर्म इंश्योरेंस खरीदने पर ज्यादा जोर देना चाहिए।
प्रोविडेंट फंड ब्याज अब टैक्सेबल
घोषणा: 1 अप्रैल 2021 से, टैक्स-फ्री ब्याज का भुगतान केवल उस प्रोविडेंट फंड योगदान पर किया जाएगा, जो एक वर्ष में 2.5 लाख रुपए से कम है। अगर योगदान इससे ऊपर जाता है, तो निवेशक के टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लागू की जाएगी।
विश्लेषण: यह उन हाई-वैल्यू इंवेस्टर्स (उच्च मूल्य वाले निवेशकों) को प्रभावित करेगा, जो अपने पीएफ खाते में प्रति माह 20,000 रुपए से अधिक जमा करते हैं। ईपीएफ की बात करें, तो अन्य निश्चित आय निवेश विकल्पों से काफी अधिक प्रतिवर्ष 8.5% सुनिश्चित रिटर्न देता है। स्वाभाविक रूप से, जो निवेशक गारंटीड रिटर्न की तलाश में है उनको यह आकर्षित करता है। वित्त मंत्री ने अपने भाषण में बताया कि हर महीने एक करोड़ से ज्यादा निवेशकों का योगदान है।
दृष्टिकोण: अगर आपका पीएफ निवेश इस सीमा से अधिक है, तो आपको विकल्पों पर विचार करना पड़ सकता है। आप निश्चित रूप से टैक्स योग्य ब्याज आय को लेकर संतुष्ट रह सकते हैं। आज के नंबर आधार पर, 8.5% रिटर्न पर 30% टैक्स होने पर आपका वास्तविक रिटर्न रेट 5.95% होता है, जो अभी भी कई बड़े बैंकों में एक फिक्स्ड डिपाजिट राशि से अधिक है या आप 2.5 लाख रुपए की सीमा में रहकर एनपीएस, सुकन्या समृद्धि, या एमएफ (MFs) जैसे विकल्पों को चुन सकते हैं।
अप्रैल 2021 से आपका मासिक पीएफ क्या होगा, इसे भी नए वेतन कोड में देखा जाना चाहिए, जो कहता है कि आपके बेसिक पे (वेतन) को आपकी कुल आय का कम से कम 50% होना चाहिए, जिससे आपके वेतन को रिस्ट्रक्चर किया जाएगा।
इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है। बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर सलाह लें।) ( ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)