- निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2022 को अपना चौथा केंद्रीय बजट पेश करने के लिए तैयार हैं।
- वित्त मंत्री करदाताओं को बड़ी राहत दे सकती हैं।
- लोगों को उम्मीद है कि अमीरों के टैक्स स्लैब में बदलाव होना चाहिए।
Union Budget 2022-23 Income Tax Slabs and Rates Expectations: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) पहली फरवरी 2022 को संसद में अपना चौथा आम बजट (Budget 2022) पेश करेंगी। उम्मीद की जा रही है कि इस बार सीतारमण नौकरीपेशा लोगों के लिए बड़ी सौगातों का ऐलान कर सकती हैं। इसमें इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव भी शामिल है। बजट में लोगों को हर साल टैक्स से जुड़ी घोषणाओं का सबसे ज्यादा इंतजार रहता है। हर बजट में आयकर दरों और स्लैब की समीक्षा की जाती है। लेकिन, साल 2014 के बाद से इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है। क्या वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मंगलवार को बजट में स्लैब में बदलाव कर टैक्सपेयर्स को राहत देंगी?
तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बेसिक इनकम टैक्स छूट की सीमा 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये की थी। वहीं वरिष्ठ नागरिकों के लिए छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दी गई थी। तब से छूट की सीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
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इतनी बढ़ सकती है छूट की सीमा
टैक्सपेयर्स उम्मीद कर रहे हैं कि छूट सीमा को 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये हो सकती है। साथी ही वरिष्ठ नागरिकों के लिए इसे मौजूदा 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 3.5 लाख रुपये किया जा सकता है।
15 लाख रुपये वाली स्लैब में हो सकता है बदलाव
शीर्ष आय स्लैब को भी मौजूदा 15 लाख रुपये से संशोधित किए जाने की संभावना है। हाल ही में केपीएमजी द्वारा किए गए एक बजट पूर्व सर्वे के अनुसार, 64 फीसदी लोगों को 2.5 लाख रुपये की बेसिक इनकम टैक्स छूट सीमा में वृद्धि की उम्मीद है।
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केपीएमजी इन इंडिया के पार्टनर और नेशनल हेड ऑफ टैक्स राजीव डिमरी ने कहा कि, 'हमारे बजट पूर्व सर्वे से संकेत मिलता है कि 2.5 लाख रुपये की मूल आयकर छूट सीमा में वृद्धि के माध्यम से टैक्सपेयर्स को राहत की उम्मीद है। लोग शीर्ष आय स्लैब में ऊपर की ओर बदलाव चाहते हैं।'
स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट में हो सकती है बढ़ोतरी
इसके अलावा बढ़ती महंगाई से परेशान लोगों के लिए आम बजट में स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट में बढ़ोतरी का भी ऐलान हो सकता है। सरकार वेतनभोगी करदाताओं और पेंशनभोगियों के लिए उपलब्ध 50,000 रुपये की स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा को 30 से 35 फीसदी तक बढ़ा सकती है। दरअसल घर से काम करने की स्थिति में कर्मचारियों को अधिक बिजली और इंटरनेट जैसी लागतों का सामना करना पड़ता है, जिसकी वजह से मांग की जा रही है कि स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा को बढ़ाया जाए।