- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद के दोनों सदनों में आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 पेश किया।
- उनके द्वारा आगामी वित्तीय वर्ष 2022-23 का बजट 1 फरवरी 2022 को पेश होगा।
- राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद लोकसभा में आर्थिक सर्वे पेश हुआ।
Economic Survey of India 2022: आज से शुरू हुए संसद के बजट सत्र में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक सर्वे (Economic Survey) पेश कर दिया है। इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था कोविड के जोखिम से निकल गई है और दावा है कि इकोनॉमिक इंडिकिटेर मजबूत हैं। वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के 8 से 8.5 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया गया है। यह अनुमान इस बात पर निर्भर है कि कोरोना की वजह से आगे अर्थव्यवस्था के सामने बहुत बड़ी बाधा नहीं आएगी और मानसून सामान्य रहेगा।
वित्त वर्ष 2022-23 में इतनी बढ़ सकती है भारतीय अर्थव्यवस्था
आर्थिक समीक्षा में वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सरकार के बजट (Budget 2022) से पहले अर्थव्यवस्था की स्थिति का ब्योरा दिया गया है। इसमें वित्त वर्ष 2022-23 यानी अप्रैल 2022 से मार्च 2023 के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था के 8 से 8.5 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया गया है। वहीं राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने अनुमान लगाया है कि आर्थिक वृद्धि दर 9.2 फीसदी रह सकती है।
वित्तीय वर्ष (FY22) के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि 9.2 फीसदी आंकी गई है। बजट पूर्व दस्तावेज का अनुमान है कि इस अवधि के दौरान, कृषि क्षेत्र में 3.9 फीसदी, उद्योगों में 11.8 फीसदी और सेवा क्षेत्र में 8.2 फीसदी की वृद्धि हुई। पिछले साल तक इकोनॉमिक सर्वे के दो भाग होते थे, पहले भाग में पॉलिसी रिफॉर्म आइडिया होते थे। लेकिन इस साल मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) द्वारा एक ही भाग वाला सर्वेक्षण तैयार किया गया है। सीईए के वी सुब्रमण्यम का कार्यकाल दिसंबर में समाप्त हुआ था।
कंट्रोल में रहेगी महंगाई दर
इस सर्वे में महंगाई दर सीमा में रहने की उम्मीद जताई गई है। सर्वे में कहा गया है कि बड़े स्तर पर वैक्सीनेशन, सप्लाई में सुधार, रेगुलेशंस में नरमी, एक्सपोर्ट में शानदार ग्रोथ और खर्च बढ़ाने के लिए फिस्कल स्पेस के चलते अर्थव्यवस्था को सहारा मिल रहा है।
IPO के जरिए जुटाई गई ज्यादा रकम
इस बार इकोनॉमिक सर्वे में शेयर बाजार में बढ़ते निवेश पर संतोष जताया गया है। चालू वित्त वर्ष में पिछले साल के मुकाबले आईपीओ के जरिए ज्यादा, 89,000 करोड़ रुपये की रकम जुटाई गई। आयात और निर्यात कोविड से पहले के स्तर में पहुंच गया है। हालांकि ग्लोबल इकोनॉमी में अनिश्चितता बरकरार है। कोविड महामारी के बीच जनवरी 2021 में पेश हुए पिछले सर्वेक्षण में 2021-22 के लिए आर्थिक विकास का अनुमान 11 फीसदी लगाया गया था। हालांकि, भारत के सांख्यिकी मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक विकास दर केवल 9.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है।
मुख्य बातें-
- महामारी के आर्थिक झटकों को देश की वाणिज्यिक बैंकिंग प्रणाली ने अच्छी तरह झेला।
- वर्ष 2021-22 की पहली छमाही में सरकारी बैंकों का कुल शुद्ध लाभ बढ़कर 31,144 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
- वित्त वर्ष 2020-21 में 13,327 किलोमीटर सड़क का निर्माण हुआ। वहीं 2019-20 में यह आंकड़ा 10,237 किलोमीटर था।
- बुनियादी ढांचा किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए रीढ़ की हड्डी है।
- ईंधन शुल्क में कटौती के चलते चालू वित्त वर्ष में अभी तक कीमतें काफी हद तक नियंत्रित रही हैं।
- आर्थिक समीक्षा में महंगाई को लेकर कोई पूर्वानुमान नहीं दिया गया।
- एयर इंडिया की बिक्री से देश में निजीकरण के अभियान को बढ़ावा मिलेगा।
- इकोनॉमिक सर्वे में निर्यात में विविधता लाने के लिए एफटीए पर जारी बातचीत को तेजी से आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया।
- सरकार ने अब 2025 तक पेट्रोल में एथनॉल मिश्रण का लक्ष्य 20 फीसदी तय किया है।
- भारतीय अर्थव्यवस्था अब बेहतर स्थिति में है और 2022-23 की चुनौतियों से निपटने में सक्षम है।
सर्वे में कहा गया है कि वर्ष के दौरान कोविड-19 के बावजूद बैलेंस ऑफ पेमेंट अधिशेष में रहा है। दिसंबर 2021 तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 634 बिलियन डॉलर के मजबूत स्तर पर था, जो 13.2 महीने के व्यापारिक आयात के बराबर और देश के विदेशी ऋण से अधिक था।