- प्राकृतिक गैस को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग की जा रही है।
- प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल बढ़ने से ईंधन लागत कम होगी।
- इससे कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आएगी।
Budget 2022: जैसे-जैसे बजट 2022 की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे ही इसे लेकर बहस और चर्चा भी तेज हो रही है। इस साल के बजट से सभी सेक्टर्स को काफी उम्मीदें (Union Budget 2022 expectations) हैं, क्योंकि कोरोना काल में प्रभावित उद्योग उबरने की कोशिश कर रहे हैं और सरकार उन्हें सहायता दे रही है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) समेत सरकारी क्षेत्र की कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक उद्योग संगठन ने सरकार से आगामी बजट में प्राकृतिक गैस (Natural Gas) को वस्तु एवं सेवा कर (GST) के दायरे में लाने की मांग की है।
इसलिए की जा रही जीएसटी के दायरे में लाने की मांग
इस संदर्भ में उद्योग संगठन ने कहा है कि गैस आधारित अर्थव्यवस्था के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण को साकार करने और पर्यावरण के अनुकूल ईंधन की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए प्राकर्तिक गैस को जीएसटी के दायरे में लाना चाहिए।
फिलहाल प्राकृतिक गैस पर लगते हैं ये शुल्क
मौजूदा समय में प्राकृतिक गैस जीएसटी के दायरे से बाहर है। इस पर फिलहाल केंद्रीय उत्पाद शुल्क, राज्य वैट (मूल्य वर्धित कर), केंद्रीय बिक्री कर लगाया जाता है। फेडरेशन ऑफ इंडियन पेट्रोलियम इंडस्ट्री ने अपने बजट-पूर्व ज्ञापन में पाइपलाइन के जरिए प्राकृतिक गैस के परिवहन और आयातित एलएनजी के गैस में बदलने पर जीएसटी को युक्तिसंगत बनाने की भी मांग की है।
गैस पर कई राज्यों में लगता है अधिक टैक्स
एफआईपीआई ने कहा कि, 'प्राकृतिक गैस को जीएसटी व्यवस्था में शामिल न करने से प्राकृतिक गैस की कीमतों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। गैस उत्पादकों या आपूर्तिकर्ताओं को कई प्रकार के कर का सामना करना पड़ता है।' प्राकर्तिक गैस पर कई राज्यों में बहुत अधिक वैट लगाया जाता है। प्राकर्तिक गैस पर आंध्र प्रदेश में 24.5 फीसदी, उत्तर प्रदेश में 14.5 फीसदी, गुजरात में 15 फीसदी और मध्य प्रदेश में 14 फीसदी वैट है।
पेट्रोल, डीजल और एटीएफ को भी GST के दायरे में शामिल करने की मांग
उद्योग मंडल ने कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोल, डीजल और एटीएफ जैसे पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में जल्द से जल्द शामिल करने की मांग की है। साथ ही एलएनजी को प्रदूषणकारी तरल ईंधन के साथ प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए आयात शुल्क को कम करने का भी आग्रह किया है।
(इनपुट एजेंसी- भाषा)