- 2018 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 40,000 रुपये की स्टैंडर्ड डिडक्शन सीमा पेश की थी।
- 2019 में पीयूष गोयल ने इसे बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया था।
- सरकार द्वारा बजट में स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट को बढ़ाया जा सकता है।
Union Budget 2022-23 Income Tax Slabs and Rates Expectations: बढ़ती महंगाई से परेशान वेतनभोगियों और पेंशनधारकों को इस साल पेश किए जाने वाले आम बजट (Union Budget) में बड़ी राहत मिल सकती है। वेतनभोगी करदाताओं के लिए आगामी केंद्रीय बजट 2022-23 (Budget 2022-23) में बड़ा ऐलान हो सकता है। सरकार स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट में बढ़ोतरी का ऐलान कर सकती है। अगर ऐसा होता है तो करदाताओं को बढ़ती महंगाई से राहत मिलेगी।
खबरों की मानें तो सरकार वेतनभोगी करदाताओं और पेंशनभोगियों के लिए उपलब्ध 50,000 रुपये की स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा को 30 से 35 फीसदी तक बढ़ा सकती है। उद्योग निकायों द्वारा सुझाव दिए गए हैं और वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) के अधिकारी बदलावों पर विचार कर रहे हैं। मालूम हो कि जो लोग नई कर व्यवस्था (New Tax Regime) का विकल्प चुनते हैं, वे स्टैंडर्ड डिडक्शन के लिए पात्र नहीं हैं।
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घर से काम करने पर बढ़ी रही है लागत
वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि पर्सनल टैक्सेशन के संबंध में कोविड -19 के कारण स्वास्थ्य संबंधी खर्चों को देखते हुए स्टैंडर्ड डिडक्शन सीमा को 30 से 35 फीसदी तक बढ़ाने की मांग की जा रही है। अधिकारी ने कहा कि प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय अभी लिया जाना है और यह नवीनतम कर संग्रह आंकड़ों पर निर्भर करेगा। कई वेतनभोगी करदाताओं को घर से काम (work from home) करने की स्थिति में बिजली और इंटरनेट जैसी व्यक्तिगत लागतों का सामना करना पड़ता है, जिसकी वजह से मांग की जा रही है कि स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा को बढ़ाया जाए।
साल 2018 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा 40,000 रुपये की मानक कटौती सीमा पेश की गई थी और बाद में पीयूष गोयल ने 2019 में अंतरिम बजट में इसे बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया था। एक रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि Assocham और भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) जैसे उद्योग निकायों ने अपनी बजट पूर्व बैठकों के दौरान उच्च मानक कटौती की मांग की है।