Respite for Auto industry : केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने वाहनों के लिए माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में कटौती की संभावना के शुक्रवार को संकेत दिये। उन्होंने मोटर वाहन उद्योग को जल्दी ही कुछ अच्छी खबर मिलने की भी उम्मीद जाहिर की। भारी उद्योग मंत्री ने यह भी बताया कि वाहन को कबाड़ करने की नीति का प्रस्ताव तैयार हो चुका है और सभी संबंधित पक्षों ने इस पर राय दी है। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही इस नीति की घोषणा संभव है। जावड़ेकर ने वाहनों के लिये जीएसटी दरों में कटौती की संभावना के बारे में कहा कि वित्त मंत्रालय प्रस्ताव पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि उन्हें मामले की सारी जानकारी नहीं है।
हालांकि उन्होंने कहा कि तार्किक तरीके से सोचें तो दोपहिया वाहन, तिपहिया वाहन, सार्वजनिक परिवहन वाहनों की अलग श्रेणी तथा इसके बाद चार पहिया वाहन, इस तरह से क्रम हो सकता है। मुझे उम्मीद है कि आपलोगों को जल्दी ही कुछ अच्छी खबर मिलेगी। मंत्री ने कहा कि वह जीएसटी दरें घटाने की वाहन उद्योग की मांग पर निश्चित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ चर्चा करेंगे। जावड़ेकर ने कहा कि हो सकता है हम तुरंत जीएसटी दरें घटाने पर सहमत न हों, लेकिन यह अंतिम इनकार नहीं होगा। निश्चित तौर पर आगे का कुछ रास्ता मिलेगा, जो मुझे दिख भी रहा है और इस दिशा में प्रगति होगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने उद्योग जगत के साथ एक बातचीत में कहा था कि दोपहिया वाहन न तो लक्जरी और न ही नुकसानदेह सामान है, अत: जीएसटी दर में संशोधन किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जीएसटी परिषद द्वारा एक दर संशोधन प्रस्ताव लाया जाएगा। दोपहिया वाहनों पर अभी 28 फीसदी जीएसटी लगता है। जीएसटी दरें केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली परिषद द्वारा तय की जाती हैं, जिसमें सभी राज्यों के वित्त या कराधान के प्रभारी मंत्री शामिल होते हैं।
जावड़ेकर ने वाहन निर्माता कंपनियों के संगठन सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) के 60वें वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार सभी हितधारकों के साथ मिलकर काम कर रही है ताकि मांग को बढ़ावा मिल सके। उन्होंने कहा कि मोटर वाहन उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है और हम अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करके उद्योग का समर्थन करना चाहेंगे, विशेष रूप से निर्यात पर ध्यान देकर।