मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने प्राथमिकता सेक्टर लोन कैटेगरी का दायरा बढ़ा दिया है। स्टार्ट-अप को भी बैंक लोन की प्राथमिक कैटेगरी में शामिल किया गया है। इसके तहत स्टार्ट-अप को 50 करोड़ रुपए तक का लोन उपलब्ध कराया जाएगा। इसके अलावा इसमें किसानों को सोलर प्लांट और कंप्रेस्ड बायोगैस प्लांट की स्थापना के लिए भी कर्ज उपलब्ध कराया जाएगा। आरबीआई ने शुक्रवार (04 अगस्त) को कहा कि प्रायोरिटी सेक्टर लोन (पीएसएल) गाइडलाइंस की बड़ी समीक्षा के बाद इसे उभरती राष्ट्रीय प्रायोरिटीज के अनुकूल संशोधित किया गया है। आरबीआई ने कहा कि सभी शेयरहोल्डर्स के साथ विचार-विमर्श के बाद अब इसके तहत ओवरऑल डवलपमेंट पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
रिजर्व बैंक की ओर से जारी रिलीज के मुताबिक संशोधित पीएसएल गाइडलाइंस से लोन से वंचित क्षेत्रों तक लोन की पहुंच को बेहतर किया जा सकेगा। इससे छोटे और सीमान्त किसानों तथा समाज के कमजोर तबके को अधिक लोन उपलब्ध कराया जा सकेगा। साथ ही इससे अक्षय ऊर्जा, स्वास्थ्य ढांचे को भी लोन बढ़ाया जा सकेगा।
अब पीएसएल में स्टार्ट-अप को बैंकों से 50 करोड़ रुपए तक का फाइनेंस उपलब्ध कराया जा सकेगा। रिलीज में कहा गया है कि पीएसएल में जो नई कैटेगरी जोड़ी गई हैं उनमें किसानों को सौर बिजली प्लांट तथा कंप्रेस्ड बायोगैस प्लांट के लिए लोन देना भी शामिल है।
आरबीआई ने कहा है कि संशोधित गाइडलाइंस के तहत प्रायोरिटी सेक्टर लोन के प्रवाह में क्षेत्रीय असमानता के मुद्दे को भी हल करने का प्रयास किया गया है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि चयनित जिलों के लिए बढ़ा हुआ प्रायोरिटी सेक्टर लोन देने के लिए उन्हें अधिक भारांश दिया गया है। इन जिलों में प्रायोरिटी प्राप्त सेक्टर लोन का प्रवाह तुलनात्मक रूप से कम है।
आरबीआई ने कहा कि छोटे और सीमान्त किसानों तथा कमजोर वर्गों के लिए तय लक्ष्य को चरणबद्ध तरीके से बढ़ाया जाएगा। केंद्रीय बैंक ने कहा कि किसान प्रोडक्ट संगठनों (एफपीओ) तथा किसान प्रोडक्ट कंपनियों (एफपीसी) के लिए अधिक लोन की सीमा तय की गई है। नए नियमों के तहत अक्षय ऊर्जा, स्वास्थ्य ढांचे (आयुष्मान भारत के तहत परियोजनाओं सहित) लोन की सीमा को दोगुना किया गया है।