- साल 2019 में अमेजन और फ्यूचर कूपन्स के बीच डील हुई थी।
- इसके बाद 2020 में रिलायंस और फ्यूचर ग्रुप के बीच एक डील हुई।
- रिलायंस के साथ हुई डील के खिलाफ अमेजन ने सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर में अपील दायर की थी।
Amazon-Future Deal:दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन को झटका लगा है। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India) ने फ्यूचर कूपन्स में अमेजन के निवेश के अप्रूवल को सस्पेंड कर दिया है। और अमेजन पर 200 करोड़ रुपये का भारी भरकम जुर्माना भी लगा दिया है। आयोग ने यह फैसला फ्यूचर कूपन्स की तरफ से दायर की गई शिकायत के आधार पर सुनाया है। अमेजन को इस फैसले पर अपील करने के लिए 60 दिन का समय मिला है।
सीसीआई ने क्यों लगाया जुर्माना
CCI ने अपने आदेश में कहा है 'अमेजन ने डील में अपने असली मकसद को छिपाया और उसने झूठे और गलत बयान दिए, इसलिए डील को नए सिरे से देखना होगा।' इसके अलावा CAIT ने भी सीसीआई के खिलाफ एक पीआईएल दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि उसने अमेजन को जून में ही कारण बताओ नोटिस जारी किया था, लेकिन उस पर अब तक कोई फैसला नहीं दिया है।
क्या है विवाद
विवाद की शुरूआत 2020 में फ्यूचर ग्रुप के रिटेल, होलसेल और लॉजिस्टिक्स बिजनेस को रिलायंस रिटेल ने 24,713 करोड़ रुपए में खरीदने के ऐलान से हुई। इसके पहले साल 2019 में अमेजन ने 1500 करोड़ रुपए में फ्यूचर कूपन में 49 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी। इस डील के तहत अमेजन को 3 से 10 साल के भीतर फ्यूचर रिटेल में हिस्सेदारी खरीदने का भी अधिकार मिला था। इस आधार पर फ्यूचर ग्रुप और रिलायंस रिटेल डील पर ऐतराज जताते हुए अमेजन ने सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर (SIAC)में अपील दायर की थी। अमेजन का आरोप था कि रिलायंस और फ्यूचर रिटेल की डील उसकी और फ्यूचर कूपन के बीच हुई डील के खिलाफ है। जिसके बाद SIAC ने रिलायंस-फ्यूचर डील पर रोक लगा दी थी। इसके बाद हाईकोर्ट से लेकर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में ये मामला चल रहा है।
क्या है झगड़े की वजह
असल में अमेजन और रिलायंस के बीच भारतीय रिटेल बाजार पर कब्जा करने की जंग है। जिसमें फ्यूचर ग्रुप का इंफ्रास्ट्रक्चर काम आएगा। इसीलिए दोनों कंपनियां फ्यूचर ग्रुप में निवेश करना चाहती है। ई-कॉमर्स अमेजन फ्यूचर के जरिए रिटेल बिजनेस में अपनी पकड़ बनाना चाहती है। जबकि रिलायंस भी यही करना चाहती है।