- अब कंज्यूमर्स के साथ किसी प्रकार की धोखाधड़ी करना आसान नहीं
- नए काननू में कंज्यूमर्स को ज्यादा अधिकार दिया गया है
- इस नए कानून के जरिए धोखाधड़ी करने वालों को कड़ी सजा दिलवा सकते हैं
नई दिल्ली: उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 (Consumer Protection Act 2019) ने सोमवार को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 (Consumer Protection Act, 1986) को रिप्लेस कर दिया है यानी 20 जुलाई 2020 से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 लागू हो गया है। उपभोक्ताओं को कॉरपोरेशन द्वारा प्रदान की जा रही वस्तुओं और सेवाओं की गुणवत्ता पर अधिक कंट्रोल देने की मांग करने वाले इस बिल पर पिछले साल 9 अगस्त को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने हस्ताक्षर किए थे।
उपभोक्ता संरक्षण, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने उपभोक्ता संरक्षण बिल (Consumer Protection Bill) 2019 को संसद के उच्च सदन में 8 जुलाई 2019 को पेश किया था। यह 30 जुलाई, 2019 को लोकसभा में पास हो गया था और उसके बाद 6 अगस्त, 2019 को राज्यसभा ने इसे पारित कर दिया था। इस कानून से देश के उपभोक्ताओं को ज्यादा अधिकार मिल गया है। करीब 34 साल बाद नई शक्ल में आया उपभोक्ता संरक्षण कानून-2019 में ऑनलाइन और टेलीशॉपिंग कंपनियों को भी शामिल कर लिया गया है।
- अब कंज्यूमर्स के साथ किसी प्रकार की धोखाधड़ी करना किसी भी मैन्युफैक्चरर और सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों के लिए काफी महंगा साबित होगा क्योंकि नए काननू में कंज्यूमर्स को ज्यादा अधिकार दिया गया है जिसका इस्तेमाल करके वे धोखाधड़ी करने वालों को कड़ी सजा दिलवा सकते हैं।
- किसी प्रोडक्ट के संबंध में गलत और भ्रामक विज्ञापन देने पर जेल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। इसी प्रकार, खाद्य पदार्थों में मिलावट करने और हानिकारक खाद्य पदार्थ बनाने और बेचने पर भी जेल की सजा व जुर्माने का प्रावधान है। नए उपभोक्ता संरक्षण काननू के प्रावधानों के मुताबिक अब कंज्यूमर फोरम यानी उपभोक्ता अदालत में जनहित याचिका दायर किया जा सकता है।
- उपभोक्ता देश के किसी भी उपभोक्ता अदालत में मामला दर्ज करवा सकते हैं। इसके अलावा, पक्षों के बीच आपसी सहमति से मध्यस्थता का विकल्प चुनने और मध्यस्थता से विवादों के निपटारे के लिए उपभोक्ता मध्यस्थता सेल का गठन करने का भी प्रावधान है।
- नए कानून के तहत एक करोड़ रुपए तक का मामला कंज्यूमर फोरम में दायर किया जा सकता है जबकि एक करोड़ से लेकर 10 करोड़ रुपए तक के मामले में सुनवाई राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में होगा। वहीं, 10 करोड़ रुपए से ज्यादा के मामले में सुनवाई राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में होगा।
- केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, नया उपभोक्ता संरक्षण कानून-2019 अगले सप्ताह 20 जुलाई से देशभर में लागू होने जा रहा है जोकि उपभोक्ता संरक्षण कानून-1986 की जगह लेगा। नए उपभोक्ता संरक्षण कानून में विवादों के त्वरित निपटारे के लिए केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण का प्रावधान है।