- जुलाई महीने में भी सर्विस सेक्टर में संकुचन बरकरार रहा
- व्यापक सुधार आने में कई महीने लग सकते हैं
- मार्च 2021 में समाप्त होने वाले वर्ष में 6% से अधिक की गिरावट का संकेत मिलता है
नई दिल्ली : देश के सर्विस सेक्टर में जुलाई माह के दौरान भी गिरावट रही। कोरोना वायरस के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में लगने वाले लॉकडाउन ने कंपनियों को परिचालन में कमी लाने और कर्मचारियों की संख्या में कटौती रखने को मजबूर किया जिससे सर्विस सेक्टर में संकुचन बरकरार रहा। बुधवार को जारी एक सर्वे में यह कहा गया है। आईएचएस मार्किट इंडिया सर्विसिज बिजनेस एक्टिविटी इंडेक्स जुलाई माह में 34.2 अंक पर रहा। हालांकि, जून के 33.7 अंक के मुकाबले यह मामूली सुधार में रहा। यह लगातार 5वां महीना है जब सर्विस सेक्टर की गतिविधियों में संकुचन रहा है।
आईएचएस मार्किट इंडिया के सर्विस सेक्टर के खरीद प्रबंधकों के सूचकांक (पीएमआई) के मुताबिक जुलाई में सूचकांक में मामूली वृद्धि होने के बावजूद सर्विस सेक्टर में लगातार 5वें माह संकुचन रहा। पीएमआई का 50 अंक से ऊपर रहना सेक्टर में विस्तार को बताता है जबकि 50 अंक से नीचे रहने पर यह संकुचन को दर्शाता है।
आईएचएस मार्किट के अर्थशासत्री लेविस कूपर ने कहा कि इतने लंबे समय तक ऐसी बड़ी गिरावट में किसी तरह का व्यापक सुधार आने में सालों नहीं पर कई महीने लग सकते हैं। आईएचएस मार्किट के अनुमान को देखते हुए देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में मार्च 2021 में समाप्त होने वाले वर्ष में 6% से अधिक की गिरावट का संकेत मिलता है।
सर्वे में भाग लेने वालों ने कोविड- 19 महामारी के कारण समय-समय पर लगने वाले लॉकडाउन संबंधी उपायों, कमजोर मांग की स्थिति और कंपनियों में कामकाज का अस्थाई तौर पर निलंबन को सेवा क्षेत्र की गतिविधियों और ऑर्डर बुक दोनों में आई गिरावट से जोड़ा है।
कुल मिलाकर सकल मांग की स्थिति काफी दबी हुई है, इससे सर्विस प्रोवाइडर ने जुलाई में रोजगारों में और कटौती की है। रोजगार में कमी की रफ्तार तेज रही है। भागीदारों ने उपयागकर्ताओं की ओर से कमजोर मांग और व्यवसायों के अस्थाई तौर पर बंद होने को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है।
सर्विस सेक्टर और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर दोनों का संयोजित पीएमआई आउटपुट इंडेक्स जून के 37.8 से घटकर जुलाई में 37.2 अंक पर आ गया। इससे जुलाई माह के दौरान प्राइवेट सेक्टर के कारोबार और गतिविधियों में और तेज सुकुचन की तरफ इशारा मिलता है।
इस बीच रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक मंगलवार को शुरू हो गई। छह सदस्यों वाली यह समिति 6 अगस्त को अपना फैसला सुनाएगी।