- अब 500 किलो ग्राम वजन वाले ड्रोन भारत में इस्तेमाल हो सकेंगे। इससे ड्रोन टैक्सी का रास्ता साफ हो गया है।
- हुंडई, बोइंग, वेलोकॉप्टर,ई हांग यून फू जैसी कंपनियां ड्रोन टैक्सी को विकसित कर रही है, 2017 में दुबई में इसका ट्रॉयल हो चुका है।
- देश में कॉर्गो डिलिवरी के लिए स्पेशल कॉरिडोर भी बनाए जाएंगे।
नई दिल्ली: अक्सर जब हम सड़कों पर जाम में फंसते हैं तो यह सोचते हैं कि काश ऐसा होता कि मेरी गाड़ी उपर उड़ते हुए चली जाती और इस थकाऊ जमा से हम बच जाते। इस ख्याल को हम सबने कभी न कभी अपने मन में जरूर लाया होगा। लेकिन अब यह ख्याल हकीकत बनने की दिशा में बढ़ गया है। अगर सब सही रहा तो अगले दो-तीन साल में आपको भारत में ड्रोन टैक्सी (Drone Taxi)दिखेंगी। सरकार ने आज ड्रोन नियम 2021 (Drone Rules 2021) नोटिफाई कर दिए हैं। इसके तहत अब देश में 500 किलोग्राम तक वजन ले जाने वाले ड्रोन को मंजूरी मिल गई है। यानी अब देश में ऐसे ड्रोन बन सकेंगे और उनका कमर्शियल इस्तेमाल भी आने वाले दिनों में किया जा सकेगा जो 5-6 लोगों को आसानी से बैठाकर उड़ सकेंगे। इसके अलावा सरकार ने नियमों में कई ऐसे बदलाव किए हैं, जिसके जरिए भारत में डिलिवरी बाजारा पूरी तरह से बदल सकता है। ई-कॉमर्स कंपनियां ड्रोन के जरिए आसानी से काफी वजन वाले सामान की डिलिवरी कर सकेंगी। इसके लिए स्पेशल कॉर्गो कॉरिडोर भी बनाए जाएंगे। ऐसा होने से भारत में ड्रोन इंडस्ट्री का बड़ा बाजार खड़ा हो सकता है। जो कि खास तौर से स्टार्टअप के लिए काफी फायदेमंद होने वाला है।
भारत 2030 तक बन सकता है ड्रोन हब
सरकार के अनुसार भारत में 2030 तक ड्रोन हब बनने की क्षमता है और उसी विजन को देखते हुए उसने ड्रोन संबंधी नियमों में 30 प्रमुख बदलाव किए हैं। नई ड्रोन नीति पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा है कि नए ड्रोन नियमों से स्टार्ट अप और इस क्षेत्र में काम करने वाले युवाओं को बड़ा फायदा मिलने वाला है। इसके जरिए सेक्टर में नए इन्नोवेशन और बिजनेस के संभावनाओं के द्ववार खुलेंगे। और भारत ड्रोन हब बन सकेगा।
ड्रोन टैक्सी का रास्ता खुला
इंडिया रोबोटिक्स सॉल्यूशंस (India Robotic Solutions) प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक एवं सीईओ सागर गुप्ता नौगरिया (Sagar Gupta) कहते हैं "नए नियम ड्रोन सेक्टर के लिए बहुत बड़े बदलाव लेकर आए हैं। इससे भारत में एक नई तरह की ड्रोन इंडस्ट्री खड़ी हो जाएगी। और ड्रोन टैक्सी का सपना भी पूरा हो सकेगा। मेरा मानना है कि 2-3 साल में आप भारत में ड्रोन टैक्सी देख सकेंगे। भारत में आईआईटी मुंबई में भी इस पर काम हो रहा है। एक प्रोफेसर ने प्रोटोटाइप ड्रोन बनाया भी है। इसके अलावा हुंडई, उबर जैसी कंपनियां दुनिया में ड्रोन टैक्सी बना रही है। नए नियम में 500 किलोग्राम वजन के ड्रोन बनाए जा सकते हैं। साफ है कि आसानी से ड्रोन टैक्सी में 5-6 लोग बैठ सकेंगे। मेरा मानना है कि वह दिन अब दूर नहीं है जब भारत में ड्रोन टैक्सी चलेगी।"
सागर कहते हैं इसके अलावा कई महत्वपूर्ण नियमों में बदलाव किया गया है। जिसके जरिए स्टार्ट अप को बड़ा बूस्ट मिलेगा। साथ ही इंडस्ट्री में इन्नोवेशन भी बढ़ेगा। नए नियमों में कंप्लायंस काफी कम कर दिए गए हैं, फीस कम कर दी गई हैं। ड्रोन को उड़ाने के लिए तय रेड जोन, ग्रीन जोन और येलो जोन के दायरे को कम कर दिया गया है। जिससे नए अवसर पैदा होंगे।
इंडस्ट्री के लिए प्रमुख नियम:
- यूनिक आथराइजेशन नंबर, यूनिक प्रोटोटाइप आइडेंटिफिकेशन नंबर, सर्टिफिकेट ऑफ कॉनफॉर्मेंस, सर्टिफिकेट ऑफ मेंटनेंस, आपरेटर परमिट, ऑथराइजेशन ऑफ आर एंड डी आर्गनाइजेशन, स्टूडेंट रिमोट पॉयलट लाइसेंस, रिमोट पॉयलट इंस्ट्रक्टर ऑथराइजेशन, ड्रोन पोर्ट ऑथराइजेशन, ड्रोन कंपोनेंट के निर्यात आदि के लिए मंजूरी की जरूरत खत्म
- अब 25 की जगह केवल 5 चीजों के लिए मंजूरी लेनी होगी
- ड्रोन सेक्टर में एक्विविटी के लिए सिक्योरिटी क्लीयरेंस की जरूरत नहीं
- ड्रोन सेक्टर के लिए ग्रीन, रेड, येलो जोन डिजिटल स्काइ प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होंगे
- ग्रीन जोन में 200 फुट ऊंचाई तक उड़ाने के लिए मंजूरी की जरूरत नहीं है, जो कि एयरपोर्ट के 8-12 किलोमीटर के दायरे के आधार पर होगा
- एयरपोर्ट एरिया से येलो जोन का एरिया 45 किलोमीटर से घटाकर 12 कर दिया गया है।
- ड्रोन टैक्सी के लिए स्पेशल कॉरिडोर बनेगा।
- इसी तरह कॉर्गो डिलिवरी के लिए स्पेशल कॉरिडोर बनेंगे।
- ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया ने नए नियमों को ड्रोन इंडस्ट्री के लिए नए युग की शुरूआत कहा है।