जिनेवा: कोरोना वायरस महामारी के चलते पिछले साल दुनिया में नौकरियों का नुकसान 2009 के वैश्विक वित्तीय संकट में हुए नुकसान का चार गुना रहा। यह आकलन संयुक्तराष्ट्र के एक संगठन की सोमवार को जारी एक रपट का है। पिछले साल इस संकट में कुल मिला कर 22 करोड़ से अधिक पूर्ण नौकरियों और श्रमिकों को 3700 अरब डॉलर की आय का नुकसान हुआ।
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) का अनुमान है कि कोविड-19 की रोकथाम के लिए कंपनियों और सार्वजनिक जीवन पर लागू पाबंदियों से दुनिया में 8.8 प्रतिशत कार्यअवधि की क्षति हुई। इसे अगर दिहाड़ी के हिसाब से देखें तो कुल 22.5 करोड़ पूर्ण नौकरी का नुकसान कहा जा सकता है। यह 2009 के वैश्विक बैंकिंग सकट के समय गयी नौकरियों के चार गुना के बराबर है। आईएलओ के महानिदेशक गुय राइडर ने कहा कि 'यह (कोरोना वायरस) संकट 1930 के दशक की महामंदी के बाद का सबसे बड़ा संकट है। इसका असर 2009 के वैश्विक वित्तीय संकट से कहीं बहुत गहरा है।'
उन्होंने कहा कि इस बार के संकट में काम के घंटों में कमी और अभूतपूर्व बेरोजगारी दोनों ही देखी गयी। संगठन का कहना है कि कोराना वायरस संकट में रेस्त्रां, बार, दुकान, होटल ओर अन्य सेवाओं में रोजगार की भारी हानि हुई है।काम के अवसर छिनने से दुनिया में कर्मचारियों और मजदूरों को 3700 अरब डॉलर की आय की हानि हुई। आईएलओ महानिदेशक ने इसे 'असाधारण रूप से बड़ा' नुकसान बताया। इसमें सबसे ज्यादा नुकसान महिलाओं और युवा वर्ग के लोगों को हुआ। आईएलओ को उम्मीद है कि इस वर्ष के उत्तरार्ध में रोजगार के अवसर फिर बढ़ने लगेंगे। लेकिन यह कोरोना संक्रमण की आगे की स्थिति पर निर्भर करेगा।