नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष (2020-21) के लिए राज्यों की कुल कर्ज उठाने की सीमा बढ़ा कर 5% करने की घोषणा की। अभी तक वे राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 3% प्रतिशत तक ही बाजार से कर्ज ले सकते थे। इस कदम से राज्यों को 4.28 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त धन उपलब्ध होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की 5वीं और अंतिम किस्त जारी करते हुए यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि केंद्र ने वास्तविक राजस्व संग्रह बजट अनुमानों से काफी कम रहने के बाद भी अप्रैल में राज्यों को करों से प्राप्त राशि में से 46,038 करोड़ रुपए दिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के समक्ष संसाधनों की कमी के बाद भी राज्यों को अप्रैल और मई में कुल 12,390 करोड़ रुपए के बराबर राजस्व घाटा अनुदान दिया गया।
कोरोना से लड़ने के लिए 4,113 करोड़ रुपए
इसके अलावा, अप्रैल के पहले सप्ताह में 11,092 करोड़ रुपए के राज्य आपदा राहत कोष (एसडीआरएफ) को अग्रिम तौर पर जारी किए गए। स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम से संबंधित प्रत्यक्ष गतिविधियों के लिए 4,113 करोड़ रुपए से अधिक जारी किए। वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार के अनुरोध पर, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने राज्यों के लिये कर्ज जुटाने के उपायों (वेज एंड मीन्स एडवांस लिमिट) में 60 प्रतिशत की वृद्धि की।
ओवरड्राफ्ट 21 दिनों तक रख सकने की छूट
इसके अलावा, एक माह में लगातार ओवरड्राफ्ट की स्थिति 14 दिनों से बढ़ाकर 21 दिनों तक रख सकने की छूट दी गए। इसी तरह एक तिमाही में ओवरड्राफ्ट की स्थिति कुल मिला कर 32 दिन की बजाय 50 दिन तक रखने की छूट दी गई है। राज्यों के लिए 2020-21 के दौरान उधार जुटाने की पहले से स्वीकृत कुल सीमा 6.41 लाख करोड़ रुपए (सकल राज्य घरेलू उत्पाद का तीन प्रतिशत) है।
राज्य मांग रहे थे पांच प्रतिशत
राज्यों ने अब तक अधिकृत सीमा का केवल 14 प्रतिशत उधार लिया है। 86 प्रतिशत अधिकृत कर्ज सीमा को अभी तक उपयोग में नहीं लाया गया है। हालांकि राज्य इसके बावजूद कुल उधार की सीमा को जीएसडीपी के तीन प्रतिशत से बढ़ाकर पांच प्रतिशत करने की मांग कर रहे थे। सीतारमण ने कहा कि अभूतपूर्व स्थिति के मद्देनजर, केंद्र ने उधार की कुल सीमा को जीएसडीपी के तीन प्रतिशत से बढ़ाकर पांच प्रतिशत किए जाने के राज्यों के अनुरोध को मंजूरी करने का निर्णय लिया है। उधार की सीमा में यह वृद्धि सिर्फ 2020-21 के लिए की गई है। इससे राज्यों को 4.28 लाख करोड़ रुपए के अतिरिक्त संसाधन मिलेंगे।
अतिरिक्त उधार की छूट विशिष्ट सुधारों से जुड़ी होंगी
उन्होंने कर्ज की सीमा बढ़ाने का ब्योरा देते हुए कहा कि अतिरिक्त उधार की छूट विशिष्ट सुधारों से जुड़ी होंगी। तीन प्रतिशत की सीमा से ऊपर उधार की सीमा में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि बिना शर्त की जा सकेगी। इसके अलावा 0.25-0.25 प्रतिशत की चार किस्तों में कुल मिला कर एक प्रतिशत बढ़ा हुआ कर्ज स्पष्ट रूप से विनिर्दिष्ट, तुलनीय और व्यवहार्य सुधारों से जुड़ा हुआ होगा। यदि चार सुधारों में से तीन के लक्ष्यों को पा लिया जाता है तो और 0.50 प्रतिशत कर्ज जुटाने की छूट होगी।