- आम बजट 2022-23
- ग्रीन बॉन्ड जारी करने का प्रस्ताव
- पर्यावरण विशेषज्ञों ने की प्रशंसा
नई दिल्ली: पर्यावरण विशेषज्ञों ने हरित बुनियादी ढांचे के लिए संसाधन जुटाने और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए बदली ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के वास्ते 2022-23 के केंद्रीय बजट में हरित बॉण्ड जारी करने के सरकार के प्रस्ताव की प्रशंसा की है और कहा है कि इस पहल से भारत में कार्बन उत्सर्जन में कटौती में मदद मिलेगी। विशेषज्ञों ने मंगलवार को जारी बजट में सतत शहरी नियोजन और जन परिवहन पर ध्यान केंद्रित किये जाने को लेकर भी सरकार की सराहना की तथा कहा है कि शहरी योजनाकर्ताओं, अर्थशास्त्रियों और क्षमता निर्माण के लिए संस्थान स्थापित करने का प्रस्ताव स्वागतयोग्य कदम है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए ऊर्जा ट्रांजिशन, हरित बॉण्ड जारी करने, दीर्घकालिक शहरी नियोजन एवं अन्य उपायों की घोषणा की है] जो जलवायु अभियान से संबंधित पहल हैं। भारती इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी के शोध निदेशक एवं संबद्ध एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अंजल प्रकाश ने कहा कि जलवायु अभियान की दृष्टि से ‘बजट काफी अच्छा है।’
उन्होंने कहा, 'दीर्घकालिक शहरी नियोजन एवं जन परिवहन पर ध्यान केंद्रित किया जाना स्वागत योग्य कदम है। एक अनुमान के मुताबिक 2050 तक भारत की जनसंख्या का आधा हिस्सा शहरी इलाकों में रहेगा। शहरी नियोजकों, अर्थशास्त्रियों की उच्च स्तरीय समिति और क्षमता निर्माण के लिए संस्थान स्थापित करना स्वागत के लायक है। मुझे उम्मीद है कि योजनाकार शहरी बुनियादी ढांचे को जलवायु की दृष्टि से लचीला बनाने की सिफारिश करेंगे, क्योंकि कई भारतीय शहर जलवायु से संबंधित जोखिमों और आपदाओं से ग्रस्त हैं।'
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उन्होंने कहा, 'हरित बुनियादी ढांचे के लिए ग्रीन बॉण्ड का उपयोग उन परियोजनाओं के लिए किया जाएगा, जो भारत की कार्बन उत्सर्जन तीव्रता को कम करने में मदद करेंगे। अक्षय ऊर्जा और सौर मॉड्यूल जैसी ऊर्जा भंडारण प्रौद्योगिकियों के लिए आवंटन भी प्रशंसा के लायक है।' वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट इंडिया (डब्ल्यूआरआई इंडिया) के सबनेशनल क्लाइमेट एक्शन के जलवायु कार्यक्रम प्रमुख चिराग गुज्जर ने भी इसी तरह के विचार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि हरित बॉण्ड तक पहुंच स्थानीय सरकारों को किफायती वित्त आधारित सार्वजनिक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए सक्षम बनाएगी।
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काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर सेंटर फॉर एनर्जी फाइनेंस (सीईईडब्ल्यू-सीईएफ) के निदेशक गगन सिद्धू ने कहा, 'भारत अब उन चुनिंदा देशों, खासकर यूरोपीय देशों के समूह में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने इस तरह के बॉण्ड जारी किए हैं। हम घरेलू कॉरपोरेट ग्रीन बॉण्ड बाजार के विकास को उत्प्रेरित करने के लिए भी इस कदम की उम्मीद कर सकते हैं।'