- यूरोपीय सेंट्रल बैंक ने साल 2011 के बाद पहली बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है।
- महंगाई को काबू में लाने के लिए केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में वृद्धि कर रहे हैं।
- घरेलू और आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए एमपीसी द्विमासिक मौद्रिक नीति के बारे में निर्णय करती है।
नई दिल्ली। यूरोपीय सेंट्रल बैंक (European Central Bank) ने 11 साल में पहली बार नीतिगत दरों में बढ़ोतरी की है। यूरोपियन सेंट्रल बैंक ने ब्याज दरों में 0.5 फीसदी की बढ़ोतरी की है। प्रमुख ब्याज दर में की गई यह वृद्धि उम्मीद से भी ज्यादा है। ईसीबी से पहले अमेरिकी फेडरल रिजर्व और दुनिया के अन्य प्रमुख देशों के केंद्रीय बैंकों ने महंगाई (Inflation) को काबू में लाने के लिए ब्याज दरें बढ़ाई थीं। इस संदर्भ में ईसीबी ने कहा है कि महंगाई के रिस्क को देखते हुए नीतिगत दर में 0.5 फीसदी की वृद्धि बिल्कुल जायज है।
ब्याज दर में एक और बढ़ोतरी की उम्मीद
यूरो मुद्रा का इस्तेमाल करने वाले 19 देशों के लिए प्रमुख ब्याज दर में 0.5 फीसदी की तेजी के बाद सितंबर में भी मौद्रिक नीति समीक्षा में एक और बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही है। यूरोपीय सेंट्रल बैंक के इस कदम से लोन ग्राहकों को झटका लगा है क्योंकि अब कर्ज महंगा हो जाएगा। इस बीच अब चर्चा हो रही है कि केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दर बढ़ाने से क्या बड़ी अर्थव्यवस्थाएं मंदी की चपेट में नहीं आएंगी? कर्ज महंगा होने से लोग खाने का सामान, ईंधन और अन्य चीजों पर कम खर्च करते हैं।
धीमी हो रही हैं आर्थिक गतिविधियां
ईसीबी की अध्यक्ष क्रिस्टीन लेगार्ड ने कहा कि, 'इकोनॉमिक गतिविधियां धीमी हो रही हैं। रूस का यूक्रेन पर हमले (Russia Ukraine War) का असर वृद्धि पर पड़ा है। ऊंची महंगाई, सप्लाई के मोर्चे पर बाधाएं जारी रहने और अनिश्चिता बने रहने से इकोनॉमी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इसकी वजह से साल 2022 की दूसरी छमाही और उसके बाद का परिदृश्य धुंधला जान पड़ रहा है।'
भारत के केंद्रीय बैंक की बैठक टली
भारत की बात करें, तो देश के केंद्रीय बैंक (RBI) ने मौद्रिक नीति समिति (MPC) की आगामी बैठक को प्रशासकीय मजबूरियों की वजह से एक दिन के लिए टाल दी है। पहले इस बैठक में होने वाले फैसलों की घोषणा चार अगस्त को होनी थी, लेकिन अब आरबीआई की बैठक तीन अगस्त से होगी और इसके निर्णयों की घोषणा पांच अगस्त को की जाएगी।