- सरकार ने डिजिटल करंसी के लेन-देन को करंसी के रूप में नहीं बल्कि इंवेस्टमेंट के रूप में मान्यता दी है।
- मध्यम वर्ग के लिए निराशाजनक है। खास तौर पर जब वह सरकार की कमाई का सबसे बड़ा स्रोत है।
- डिजिटल एजुकेशन, गति और रोप-वे प्रोजेक्ट से मिलेगा बड़ा बूस्ट
नई दिल्ली: 2022-23 के बजट से साफ है कि वित्त मंत्री फौरी राहत देने के मूड मे नहीं है। उनकी सोच यह है कि ज्यादा से ज्यादा पैसे का कलेक्शन किया जाय और उससे बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जाय। जिससे कि लंबी अवधि में फायदा मिले। इसलिए यह बजट लंबी अवधि के हिसाब से अच्छा है और शॉर्ट टर्म अवधि के हिसाब से निराशाजनक है।
दूसरी सबसे अहम बात मध्यम वर्ग को लेकर है। जिस तरह महामारी में जीएसटी कलेक्शन बढ़ा है और महंगाई बढ़ी है। उससे उम्मीद थी कि सरकार इनकम टैक्स के फ्रंट पर मध्यम वर्ग को राहत देगी। लेकिन ऐसा लगता है कि अभी वह मध्यम वर्ग से ज्यादा कल्याणकारी योजना पर ही फोकस कर रही है। जो कि मध्यम वर्ग के लिए निराशाजनक है। खास तौर पर जब वह सरकार की कमाई का सबसे बड़ा स्रोत है।
इन कदमों से मिलेगी राहत
टैक्स फ्रंट पर राहत नहीं देने के बावजूद वित्त मंत्री ने कुछ कदम जरूर ऐसे उठाए हैं, जिनसे आम करदाता को राहत होगी। मसलन आईटीआर फाइलिंग में करेक्शन के लिए एक साल का अतिरिक्त वक्त मिलेगा। इससे करदाता को कानूनी कार्रवाई से राहत मिलेगी। अगर उसके आईटीआर में कोई कमी रह गई है तो वह सुधार कर सकेगा।
इसके अलावा कैपिटल गेन टैक्स में कटौती कर उसे 15 फीसदी कर दिया गया है। इससे निवेश को बढ़ावा मिलेगा और आम आदमी पर टैक्स का बोझ कम होगा।
क्रिप्टो करंसी पर साफ हुई पॉलिसी
बजट में क्रिप्टो करंसी और डिजिटल एसेट की बिक्री से होने वाली कमाई पर 30 फीसदी टैक्स का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा लेन-देन पर एक फीसदी टीडीएस का प्रावधान किया गया है। इस कदम से साफ हो गया है कि सरकार ने डिजिटल करंसी के लेन-देन को करंसी के रूप में नहीं बल्कि इंवेस्टमेंट के रूप में मान्यता दी है। यानी आप जितना कमाएंगे, उस पर 30 फीसदी टैक्स देना होगा।
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डिजिटल एजुकेशन, गति और रोप-वे अच्छे कदम
सरकार ने एजुकेशन क्षेत्र में डिजिटल पढ़ाई को बढ़ावा देने के लिए , डिजिटल कंटेट मुहैया कराने की बात की है। इससे शहर और ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों की डिजिटल खाई घटेगी और क्वॉलिटी एजुकेशन कंटेट , सुदूर गांव में बैठे बच्चे को भी मिलेंगे। इसके अलावा गति मिशन से इंफ्रास्ट्रक्टर को बूस्ट मिलेगा। और रोप-वे प्रोजेक्ट से पहाड़ी क्षेत्र में कनेक्टिविटी आसान होगी।
(मनु गौड़, टैक्सपेयर्स एसोसिएशन ऑफ भारत के प्रेसिडेंट है)
(यह लेख प्रशांत श्रीवास्तव से बातचीत पर आधारित है। )
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