- जीएसटी क्षतिपूर्ति के लिए केंद्र सरकार ने प्लान तैयार कर लिया है
- स्पेशल विंडो सुविधा शुरू की गई है
- इससे पहले अगस्त में केंद्र ने राज्यों को दो विकल्प दिए थे
नई दिल्ली : केंद्र और राज्यों के बीच गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) को लेकर चल रहा विवाद अब हल होता नजर आ रहा है। क्योंकि केंद्र सरकार राज्यों के लिए जीएसटी क्षतिपूर्ति करने का फैसला किया है। इसके लिए केंद्र सरकार बाजार से 1.1 लाख करोड़ रुपए कर्ज लेगी। पहले केंद्र सरकार ने असमर्थता जताई थी। सरकार ने गुरुववार को अतिरिक्त राशि को शामिल करते हुए दूसरी छमाही के दौरान उधार जुटाने का नया कार्यक्रम को जारी किया है। इससे पहले अगस्त में केंद्र ने राज्यों को दो विकल्प दिए थे।
सरकारी रिलीज में कहा गया है कि राज्यों की जीएसटी क्षतिपूति के लिए 1.10 लाख करोड़ रुपए की स्पेशल विंडो सुविधा शुरू किए जाने के बाद आरबीआई के साथ विचार विमर्श कर भारत सरकार के उधारी कैलेंडर में जरूरी सुधार किया जा रहा है। इसमें कहा गया है कि वित्त वर्ष 2020- 21 की शेष अवधि (19 अक्टूबर 2020 से 31 मार्च 2021) के लिए भारत सरकार कुल मिलाकर 4,88,000 करोड़ रुपए का उधार जुटाएगी। जीएसटी क्षतिपूर्ति के लिए तीन और पांच साल की अवधि के तहत 55,000 करोड़ रुपए की दर से एक्स्ट्रा राशि जुटाई जाएगी।
वित्त मंत्रालय ने पिछले महीने कहा था कि कोविड-19 संकट के दौरान होने वाले खर्च की पूर्ति के लिए सरकार वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में 4.34 लाख करोड़ रुपए का कर्ज लेगी। इस एक्स्ट्रा राशि के साथ दूसरी छमाही में कुल उधार बढ़कर 5.44 लाख करोड़ रुपए हो जाएगा।
पहले की योजना के मुताबिक 27,000 से 28,000 करोड़ रुपए की 16 साप्ताहिक नीलामी कार्यक्रम चलाए जाएंगे और इनकी अवधि पहली छमाही के अनुरूप ही 2,5,10,14,30 और 40 साल होगी। अब नए साप्ताहिक नीलामी कार्यक्रम में यह 17,000 करोड़ से 31,000 करोड़ रुपए के दायरे में होंगे और जिसमें तीन से पांच साल के सरकारी पत्र भी शामिल होंगे। बहरहाल 5.44 लाख करोड़ रुपए की राशि 22 सप्ताह में पूरी होगी। इसमें से 56,000 करोड़ रुपए सरकार जुटा चुकी है जबकि शेष 4.88 लाख करोड़ रुपए बाकी बचे 20 सप्ताह में जुटाए जाएंगे।
इससे पहले केंद्र सरकार ने दो विकल्प देते हुए कहा था कि राज्य आरबीआई द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली स्पेशल सुविधा के जरिए 97,000 करोड़ रुपए लोन ले सकते हैं। इसके अलावा राज्य बाजार से 2.35 लाख करोड़ रुपए का लोन ले सकते हैं। बाद में कुछ राज्यों की डिमांड के बाद पहले विकल्प के तहत उधार को 97000 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 1.1 लाख करोड़ रुपए कर दिया गया।