- भारत में सोने पर आयात शुल्क 12.5 फीसद और तीन फीसद जीएसटी लगती है
- दुबई से सबसे अधिक सोने की होती है तस्करी
- अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के बंद होने से तस्करी में आई थी भारी कमी
नई दिल्ली। केरल के त्रिवेंद्रम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर राजनयिक सामान से 30 किलो सोना जब्त होने के बाद सोने की तस्करी का दायरा बढ़ने का संकेत मिलता है। कोरोना काल में सोने के दाम में आई जोरदार तेजी से तस्करी को प्रोत्साहन मिला है क्योंकि तस्करों को इससे अच्छी कमाई हो जाती है। ऐसे में यह जानना लाजिमी है कि आखिर सोने की तस्करी की वजह क्या है।
भारत में सोने पर आयात शुल्क अधिक
सर्राफा बाजार के जानकार बताते हैं कि भारत में सोने की तस्करी की मुख्य वजह ऊंचा आयात शुल्क है। इसके अलावा, विदेशों से आने वाले प्रीमियम क्वालिटी के सोने का रीसेल वैल्यू अच्छा होता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि भारत में सोने की तस्करी सबसे ज्यादा दुबई से होती है और प्रीमियम क्वालिटी का सोना होने के कारण उसका रीसेल वैल्यू अच्छा होता है।
दुबई का सोना अच्छी क्वॉलिटी का
जानकार बताते हैं कि विदेशों से सोने की तस्करी बड़े गिरोह करते हैं जो लालच देकर लोगों को फंसाते हैं और उनके सामान में छिपाकर सोना विदेशों से भारत भेजते हैं।इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन के नेशनल प्रेसीडेंट सुरेंद्र मेहता ने बताया कि आसानी से पैसे बनाने की लालच में लोग सोने की तस्करी करते हैं और इस काम में इंडस्ट्री के बाहर के लोग शामिल होते हैं। उन्होंने कहा कि सोने पर भारत में 12.5 फीसदी आयात शुल्क लगता है जोकि तस्करी की एक बड़ी वजह है। भारत में सोने पर तीन फीसदी जीएसटी भी लगता है।
उड़ानें बंद होने से तस्करी में आई थी कमी
कारोबारी बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें बंद होने से तस्करी बिल्कुल बंद हो गई थी।केडिया एडवायजरी के डायरेक्टर अजय केडिया ने बताया कि दुबई से आने वाला सोना प्रीमियम क्वालिटी का होने के कारण उसकी मांग अच्छी होती है। वहीं, सोने का मूल्य ज्यादा होने से छोटे परिमाण से भी अच्छी कमाई हो जाती है, इसलिए सोने की तस्करी के प्रति तस्करों की दिलचस्पी ज्यादा होती है।
हाल ही में त्रिवेंद्रम हवाई अड्डे पर राजनयिक सामान से 30 किलो सोना जब्त किया गया जिससे सोने की तस्करी में बड़े गिरोह के शामिल होने के संकेत मिलते हैं। तस्कर गिरोह की मुख्य संदिग्ध स्वप्ना के बारे में बताया जाता है वह प्रदेश की वाम लोकतांत्रिक मोर्चा की सरकार की करीबी है।