- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 24 जून को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई
- पीएम मुद्रा योजना के तहत लोन लेने वालों के हित में बड़ा फैसला लिया गया
- PMMY के तहत शिशु लोन लेने वालों को बड़ी राहत दी गई है
Pradhan Mantri Mudra Yojana (PMMY) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट की बुधवार को बैठक हुई। जिसमें प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) के तहत शिशु लोन लेने वालों को बड़ी राहत दी गई है। इस कटैगरी में लोन लेने वालों को 2% ब्याज सहायता देने की मंजूरी दी गई। शिशु कटैगरी के अंतर्गत लाभार्थियों को 50,000 रुपए तक कर्ज बिना किसी गारंटी के दिया जाता है। कैबिनेट बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि कैबिनटे ने PMMY के तहत शिशु लोन कटैगरी के कर्जदाताओं को 2% ब्याज सहायता देने को मंजूरी दी है। पात्र लोन लेने वालों को 31 मार्च 2020 तक के बकाया लोन पर ब्याज सहायता 12 महीने के लिए मिलेगी। 31 मार्च 2020 तक की स्थिति के अनुसार, PMMY की शिशु कटैगरी के तहत करीब 1.62 लाख करोड़ रुपए की कुल लोन राशि के साथ करीब 9.37 करोड़ लोन बकाया थे।
यह योजना उन लोन के लिए मान्य होगी जो इन मानदंडों को पूरा करते हैं। 31 मार्च, 2020 को बकाया थे; और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दिशा-निर्देशों के अनुसार 31 मार्च 2020 को तथा योजना की परिचालन अवधि के दौरान गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) कटैगरी में नहीं थे। ब्याज सब्सिडी उन महीनों के लिए देय होगी, जिनमें खाते एनपीए की कटैगरी में नहीं आते हैं। इनमें वे महीने भी शामिल है, जिनमें खाते एनपीए बनने के बाद फिर से निष्पादित परिसंपत्ति बन जाते हैं। यह योजना लोगों को प्रोत्साहित करेगी जो लोन की नियमित अदायगी करेंगे।
यह योजना भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) के माध्यम से कार्यान्वित की जाएगी और 12 माह तक परिचालन में रहेगी। योजना की अनुमानित लागत लगभग 1,542 करोड़ रुपये होगी जो भारत सरकार द्वारा मुहैया कराई जाएगी। जिन उधारकर्ताओं को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के कोविड-19 पैकेज के तहत उनके बैंकों द्वारा मोहलत दी गई है उनके लिए यह योजना मोहलत अवधि के पूरा होने के बाद शुरू होगी और 12 महीने की अवधि तक जारी रहेगी यानी 01 सितंबर, 2020 से 31 अगस्त, 2021 तक जारी रहेगी। अन्य उधारकर्ताओं के लिए यह योजना 01 जून, 2020 से प्रभावी होगी और 31 मई, 2021 तक जारी रहेगी।
यह योजना MSME से संबंधित कई उपायों में से एक उपाय को लागू करने के लिए है, जिनकी घोषणा आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत की गई है। PMMY के तहत आय सृजन गतिविधियों के लिए दिए जाने वाले 50,000 रुपए तक के लोन को शिशु लोन कहा जाता है। PMMY लोन दरअसल सदस्य उधारदाता संस्थानों जैसे कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और मुद्रा लिमिटेड में पंजीकृत माइक्रो फाइनेंस संस्थानों द्वारा दिए जाते हैं।
कोरोना वायरस संकट और इसके चलते किए गए लॉकडाउन ने उन MSME के कारोबार को बुरी तरह बाधित किया है जो शिशु मुद्रा लोन के माध्यम से वित्त पोषित होते हैं। छोटे कारोबारी आम तौर पर अत्यंत कम परिचालन मार्जिन पर व्यवसाय करते हैं, और वर्तमान लॉकडाउन का उनके नकदी प्रवाह पर अत्यंत प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है जिससे उनकी लोन अदायगी क्षमता खतरे में पड़ गई है। इस वजह से वे लोन अदायगी में डिफॉल्ट या चूक कर सकते हैं और इसके परिणामस्वरूप भविष्य में संस्थागत लोन तक उनकी पहुंच पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ अप्रैल 2015 को PMMY की शुरूआत की थी। इसके तहत 10 लाख रुपए तक का लोन लघु एवं सूक्ष्म उद्यमों को दिया जाता है। मुद्रा कर्ज के नाम से चर्चित यह ऋण वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, छोटी राशि के कर्ज कर्ज देने वाले संस्थान (एमएफआई) और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां देती हैं।