- DBT के जरिए अब तक 18,91,637 करोड़ रुपये ट्रांसफर हो चुके हैं। इसके तहत सरकार के 54 मंत्रालयों की 311 योजनाएं जुड़ी हैं।
- देश में 43.41 करोड़ जनधन खाते खोले गए हैं। जिसमें करीब 1.45 लाख करोड़ रुपये जमा हैं।
- अब दुनिया में सबसे बड़ा हथियार डाटा ही बनने जा रहा है, जिस पर सबकी नजर रहने वाली है।
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब कल आयुष्मान डिजिटल मिशन को लांच कर रहे थे, तो उन्होंने कहा कि देश में इस समय 130 करोड़ आधार नंबर, 118 करोड़ मोबाइल सब्सक्राइबर, 80 करोड़ इंटरनेट यूजर और 43 करोड़ जनधन खाते हैं। दुनिया में इससे बड़ा कनेक्टेड इंफ्रास्ट्रक्चर कही नहीं है। प्रधानमंत्री जिस कनेक्टेड इंफ्रास्ट्रक्चर की बात कर रहे हैं, उसके जरिए भारत में एक बड़ा डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार हो गया है। और यह इंफ्रास्ट्रक्चर एक डाटा पॉवर के रुप में हमारे सामने हैं। और इस डाटा पॉवर का इस्तेमाल अब गवर्नेंस से लेकर योजनाएं बनाने और स्वास्थ्य सुविधाओं, शिक्षा के लिए किया जा रहा है। लेकिन इसकी प्राइवेसी बनाए रखना भी एक बड़ी चुनौती है। क्योंकि अब दुनिया में डाटा ही सबसे बड़ा हथियार है।
आधार से डीबीटी (DBT) को मिला बूस्ट
आधार से डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर योजना को बड़ा बूस्ट मिला है। अब तक 18,91,637 करोड़ रुपये DBT के जरिए ट्रांसफर हो चुके हैं। इसके तहत सरकार के 54 मंत्रालयों की 311 योजनाएं जुड़ी हैं। और सरकार का दावा है कि डीबीटी के जरिए मार्च 2020 तक 1,78,396 करोड़ रुपये की बचत हुई है। सबसे ज्यादा पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय को अब 71,330 करोड़ रुपये की बचत हुई है। इसके बाद खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग को 66986 करोड़ रुपये की मार्च 2020 तक बचत हुई है।
43 करोड़ जनधन खाते
प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत देश के उन लोगों के खाते खोले गए, जिनकी बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच नहीं थी। ऐसे लोगों के जीरो बैलेंस पर खाते खोले गए हैं। वित्त मंत्रालय कि रिपोर्ट के अनुसार 15 सितंबर 2021 तक देश में 43.41 करोड़ जनधन खाते खोले गए हैं। जिसमें करीब 1.45 लाख करोड़ रुपये जमा हैं। 43 करोड़ जनधन खातों में से करीब 24 करोड़ खाते महिलाओं के खोले गए हैं। जिसके जरिए फाइनेंशियल इन्क्लूजन में बड़ा बूस्ट मिला है। और सरकार अपनी योजनाओं की राशि सीधे लाभार्थी के खाते में भेज रही है।
मोबाइल और इंटरनेट क्रांति
डिजिटल क्रांति लाने में मोबाइल खास तौर से स्मार्टफोन और इंटरनेट ने बड़ी भूमिका निभाई है। इस समय देश में 118 करोड़ मोबाइल ग्राहक, लगभग 80 करोड़ इंटरनेट यूजर हैं। जिनके जरिए ई-सेवाएं देने का रास्ता साफ हुआ है। सरकार इसी इंफ्रास्ट्रक्चर के जरिए डिजिटल लॉकर, ई-परिवहन, कोविन-पोर्टल, आरोग्य सेतु एप जैसी दूसरी सेवाएं दे रही है। और अब डिजिटल हेल्थ आईडी बनाने जा रही है। इसके तहत देश के हर नागरिक का डिजिटल हेल्थ आईडी बनाने का लक्ष्य है। जिससे कि टेलीमेडिसिन सेवाओं से लेकर दूसरी स्वास्थ्य सेवाओं का रास्ता तैयार हो सके।
डॉटा पॉवर पर प्राइवेसी का सवाल
जिस तरह से देश वासियों का डाटा बैंक तैयार हुआ है,वह निश्चिचत तौर पर आने वाले समय में एक पॉवर के रुप में काम करेगा। लेकिन इसके साथ ही उसकी प्राइवेसी को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। कि अगर हमारी जानकारियां साझा हो गई तो फिर क्या होगा। इस बात का अंदाजा प्रधानमंत्री को भी है, इसलिए उन्होंने आयुष्मान डिजिटल मिशन लांच करते वक्त इस बात का भरोसा दिलाया है कि आपका डाटा सुरक्षित रहेगा। लेकिन एक बात साफ है कि अब दुनिया में सबसे बड़ा हथियार डाटा ही बनने जा रहा है, उसमें प्राइवेसी बचाए रखना सरकार की ही जिम्मेदारी है।