- हेल्थ, एजुकेशन और श्रम बाजार के क्षेत्रों में असमानताओं पर एकत्र जानकारी के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई है।
- जल्द ही देश में आय का समान वितरण हो सकता है।
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) से कई लोगों को लाभ हुआ है।
नई दिल्ली। देश के लिए पेट्रोल और डीजल, एलपीजी सिलेंडर, खाने के तेल, नींबू, टमाटर, आदि की उच्च कीमतें ही सिर्फ एकमात्र समस्या नहीं है। बल्कि रोजगार भी एक बड़ी समस्या है। केंद्र और राज्य सरकार ज्यादा से ज्यादा लोगों को नौकरी देने का हर संभव प्रयास कर रही है और कोशिश कर रही है कि जनता को किसी तरह की आर्थिक समस्या का सामना ना करना पड़े।
प्रधानमंत्री की इकोनॉमिक एडवाइजरी कमेटी ने दी सलाह
इस बीच अब प्रधानमंत्री की इकोनॉमिक एडवाइजरी कमेटी (EAC-PM) ने एक नई योजना शुरू करने का सुझाव दिया है। ईएसी- पीएम ने सरकार को शहरी बेरोजगारों के लिए रोजगार गारंटी योजना (Employment Guarantee Scheme For Urban Unemployed) लाने की सलाह दी है।
यूनिवर्सल बेसिक इनकम का भी दिया सुझाव
पीएम की इकोनॉमिक एडवाइजरी कमेटी ने भारत में लोगों की इनकम में असमानता को कम करने के लिए एक यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) पेश करने का भी सुझाव दिया है। साथ ही सामाजिक क्षेत्र के लिए ज्यादा धन आवंटित करना की भी सिफारिश की गई है।
शहरों में पेश होनी चाहिए मनरेगा जैसी स्कीम
ईएसी- पीएम की रिपोर्ट 'भारत में असमानता की स्थिति' को 'प्रतिस्पर्धा संस्थान' द्वारा तैयार किया गया है। मालूम हो कि इसे प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन विवेक देवरॉय ने जारी किया है। इस संदर्भ में रिपोर्ट में कहा गया है कि, 'रूरल और शहरी क्षेत्रों में श्रमबल की भागीदारी दर के बीच के अंतर को देखते हुए 'मनरेगा' (MNREGA) जैसी स्कीम को शहरों में पेश किया जाना चाहिए। इससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को दोबारा से काम दिया जा सकता है।'
आगे आर्थिक सलाहकार परिषद ने अपनी सिफारिश में कहा कि, 'सरकार को सामाजिक सेवा सेक्टर में खर्च के लिए उच्च आवंटन करना चाहिए। यह सबसे ज्यादा जरूरी है। इससे सबसे कमजोर आबादी को भी किसी झटके के निपटने के लिए जुझारू बनाया जा सकता है। इससे लोगों को गरीबी में जाने से रोका जा सकता है।'