- एलटीसी के एवज में केंद्रीय कर्मचारियों को कैश वाउचर दिया जाएगा
- इस वाउचर से सिर्फ बिना खाने वाले सामान खरीद सकते हैं
- इस वाउचर को 31 मार्च, 2021 तक खर्च करना होगा
नई दिल्ली : कोरोना वायरस की वजह से चरमराई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार कई तरह से कोशिश कर रही है। सरकार एक बार फिर सोमवार (12 अक्टूबर) को कई योजना लेकर आई। उनमें से एक एलटीसी कैश वाउचर स्कीम है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस कॉन्फेंस कर कहा कि सरकार ने इस साल अपने कर्मचारियों को अवकाश यात्रा रियायत (एलटीसी) के एवज में कैश वाउचर देने की घोषणा की है। इन वाउचर का इस्तेमाल सिर्फ ऐसे बिना खाने वाले सामान खरीदने के लिए किया जा सकता है जिनपर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगता है। उन्होंने कहा कि कर्मचारी उन वाउचर का इस्तेमाल ऐसे प्रोडक्ट खरीदने के लिए कर सकते हैं जिन पर जीएसटी की दर 12% या अधिक है।
प्रत्येक चार साल में सरकार अपने कर्मचारियों को उनकी पसंद के किसी गंतव्य की यात्रा के लिए एलटीसी देती है। इसके अलावा एक एलटीसी उन्हें उनके गृह राज्य की यात्रा के लिए दिया जाता है। सीतारमण ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से कर्मचारियों के लिए इस साल यात्रा करना मुश्किल है। ऐसे में सरकार ने उन्हें कैश वाउचर देने का फैसला किया है। इसे 31 मार्च, 2021 तक खर्च करना होगा।
एलटीसी क्या है?
केंद्र सरकार के कर्मचारियों को चार साल के ब्लॉक में (भारत में कहीं भी और एक होमटाउन या होम टाउन के लिए दो) हवाई या रेल किराया के रूप में मिलता है, वेतनमान या पात्रता के अनुसार रीइंबर्स की जाती है और इसके अलावा 10 दिनों का लीव इनकैशमेंट भुगतान किया जाता है।
एलटीसी कैश वाउचर क्या है?
कोविद -19 के चलते कर्मचारी 2018-21 के वर्तमान ब्लॉक में एलटीसी का लाभ उठाने की स्थिति में नहीं हैं, इसलिए एलटीसी कैश वाउचर योजना के तहत, सरकारी कर्मचारी नकदी राशि प्राप्त करने का विकल्प चुन सकते हैं। कुछ खरीदें - जिन वस्तुओं पर 12% या उससे अधिक का जीएसटी लगता है।
2018-21 के दौरान एलटीसी के बदले कैश भुगतान किया जाएगा। लीव इनकैशमेंट पर पूरा भुगतान और पात्रता की कैटेगरी के आधार पर 3 फ्लैट-रेट स्लैब में किराया का भुगतान। किराया भुगतान टैक्स फ्री होगा।
एलटीसी के लिए सरकार 5,675 करोड़ रुपए खर्च करेगी। वहीं केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों तथा बैंकों को 1,900 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ेंगे। वित्त मंत्री ने कहा कि इस कदम से 19,000 करोड़ रुपए की मांग पैदा होगी। यदि आधे राज्यों ने इस दिशानिर्देश का पालन किया तो 9,000 करोड़ रुपए की मांग और पैदा होगी।