नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष की सितंबर तिमाही में सालाना आधार पर सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की आधिकारिक वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
एचडीएफसी बैंक के अर्थशास्त्रियों की तैयार की गई एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। बुधवार को जारी इस रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2021-22 में वास्तविक जीडीपी 9.4 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। हालांकि, वर्ष 2022-23 में इसके घटकर 7.5 प्रतिशत रह जाने का अनुमान है।
वर्ष 2020-21 में महामारी के कारण जीडीपी में आया था संकुचन
वर्ष 2020-21 में महामारी की तगड़ी मार से जीडीपी में 7.3 प्रतिशत का संकुचन देखा गया था। वर्ष 2021-22 के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 9.5 प्रतिशत वृद्धि का पूर्वानुमान जताया है जबकि वर्ष 2022-23 में इसके सुस्त पड़कर 7.8 प्रतिशत रहने की बात कही है। दरअसल वर्ष 2020-21 में अर्थव्यवस्था की हालत ठीक नहीं थी जिससे मौजूदा वित्त वर्ष के लिए आधार कम है और इस साल उच्च वृद्धि दर रहने के पीछे इस निम्न आधार को ही बड़ा कारण बताया जा रहा है।
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में निम्न आधार की वजह से जीडीपी में करीब 20 प्रतिशत का उछाल आया था। जहां तक सितंबर में समाप्त दूसरी तिमाही के आधिकारिक आंकड़ों का सवाल है तो उसके 30 नवंबर को आने की उम्मीद है। एचडीएफसी बैंक की इस रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि दूसरी तिमाही में रहने वाली 7.8 प्रतिशत की अनुमानित वृद्धि दर के पीछे भी पिछले साल का निम्न आधार ही अहम कारण रहेगा। हालांकि इस तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में आई तेजी का भी असर नजर आएगा। जुलाई-सितंबर, 2020 में जीडीपी में 16.9 फीसदी का संकुचन आया था।
दूसरी लहर से पहले की स्थिति में पहुंच गई आर्थिक गतिविधियां
यह रिपोर्ट कहती है, 'दबी मांग के समर्थन और यात्रा संबंधी बंदिशें हटने से आर्थिक गतिविधियां अगस्त की शुरुआत में महामारी की दूसरी लहर से पहले की स्थिति में पहुंच गई और उसके बाद से मजबूत ही बनी हुई हैं।' इस रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर तिमाही में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर चार प्रतिशत रहेगी जबकि उद्योग क्षेत्र में यह 6.3 प्रतिशत और सेवा क्षेत्र के लिए 8.6 प्रतिशत रहेगी। अगर सकल मूल्य-वर्द्धन के नजरिये से देखें तो दूसरी तिमाही में वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रह सकती है।