- UIDAI निवासी की पहचान के लिए स्मार्टफोन को universal authenticator के रूप में इस्तेमाल करने पर विचार कर रहा है।
- इससे लोगों को काफी फायदा होगा क्योंकि वे जहां रह रहे हैं, वहीं से प्रमाणीकरण कर पाएंगे।
- बैंकिंग और दूरसंचार उद्योग ने अपने ग्राहकों के लिए केवाईसी के लिए आधार संख्या को तेजी से अपनाया है।
Smartphones universal authenticator: बुधवार को एक शीर्ष अधिकारी ने जानकारी दी कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) निवासी की पहचान के लिए स्मार्टफोन को सार्वभौमिक प्रमाणक (universal authenticator) के रूप में उपयोग करने पर विचार कर रहा है।
मौजूदा समय में, फिंगर प्रिंट, आंखों (iris) और वन-टाइम पासवर्ड (OTP) क प्रमाणीकरण के लिए इस्तेमाल किया जाता है। अब इसके दायरे को बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। यूआईडीएआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) सौरभ गर्ग ने 'ETBFSI Converge' सम्मेलन को संबोधित करते हुए इसकी जानकारी दी।
लोगों को ऐसे होगा फायदा
गर्ग ने कहा कि, 'हम देख रहे हैं कि स्मार्टफोन एक Universal Authenticator के रूप में कैसे विकसित किया जा सकता है। इस पर काम चल रहा है और हमें उम्मीद है कि हम इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ने में सक्षम होंगे।' इससे लोगों को काफी फायदा होगा क्योंकि वे जहां रह रहे हैं, वहीं से प्रमाणीकरण कर पाएंगे।
मौजूदा समय में कुल 120 करोड़ मोबाइल कनेक्शंस में से 80 करोड़ स्मार्टफोन हैं। इनका इस्तेमाल प्रमाणीकरण के लिए किया जा सकता है। हालांकि, स्मार्टफोन के जरिए पहचान की प्रक्रिया कैसे पूरी होगी, इस पर फिलहाल कोई अतिरिक्त जानकारी साझा नहीं की गई है। गोपनीयता (privacy) और डेटा सुरक्षा (data security) प्राधिकरण के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि आधार संख्या (Aadhaar number) एकल पहचान जो सार्वभौमिक रूप से उपलब्ध और प्रामाणिक बनने की राह पर है।
70 करोड़ बैंक खाते आधार से हैं लिंक
उन्होंने कहा कि बैंकिंग और दूरसंचार उद्योग ने अपने ग्राहकों के लिए केवाईसी के लिए आधार संख्या को तेजी से अपनाया है। उन्होंने कहा कि कुल बैंक खातों में से 70 करोड़ यानी आधों को आधार से जोड़ा गया है। हालांकि, पेंशन खातों (3 करोड़) और म्यूचुअल फंड धारकों (लगभग 10 करोड़) की संख्या बहुत कम है और इन उद्योगों को तेजी से विस्तार करने के लिए आधार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं का उपयोग करना चाहिए।
मौजूदा समय में 130 करोड़ आधार कार्ड हैं, जो देश की 99.5 फीसदी आबादी को कवर करते हैं। शेष 0.5 फीसदी निवासियों को जोड़ने के प्रयास जारी हैं।