कर्ज लेना मंहगा हो गया है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा एक के बाद एक, दो बार रेट बढ़ाए जाने के कारण बैंक कर्ज देने के लिए अपनी दरों को बढ़ा रहे हैं। फ्लोटिंग-रेट लोन उधारकर्ताओं के लिए, महत्वपूर्ण दरों में बढ़ोतरी के मायने हैं कि उनको अपने होम लोन, कार लोन या मौजूदा या भविष्य में लिए जाने वाले कर्जे के लिए अधिक इक्वेटेड मासिक किश्त (ईएमआई) का भुगतान करना होगा। इसके अलावा, वर्तमान माइक्रो-इकोनोमिक स्थिति को देखते हुए, जहां पर इंफ्लेशन के एक सुविधाजनक उच्चतम सीमा से अधिक बने रहने की संभावना नज़र आ रही है, मौजूदा वित्तीय वर्ष के दौरान ब्याज दरों में 75 बीपीएस से 100बीपीएस की बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। इससे ईएमआई बढ़ जाएगी, जिससे फाइनेंस पर अतिरिक्त भार पड़ेगा।
उदाहरण के लिए, आपने 20 वर्ष के लिए 6.5% की ब्याज दर पर 50 लाख रूपये का होम लोन लिया है। आपकी मासिक ईएमआई लगभग 37,279/- होगी। मान लीजिए, हाल की बढ़ोतरी के बाद, यदि आपकी उधार की ब्याज दर को बढ़ाकर 7% कर दिया गया है, तो आपकी ईएमआई आउटगो बढ़कर 38,765/- हो जाएगी। इसके मायने हैं कि आपको हर महीने अपनी ईएमआई के लिए 1486/- रूपये अधिक देने होंगे। लोन अवधि की समाप्ति पर कुल ब्याज अदायगी लगभग 3.56 लाख रूपये तक बढ़ जाएगी, जिससे आप पर वित्तीय भार बढ़ जाएगा। इसलिए, उधारकर्ताओं को अपने खर्चों की स्ट्रीमलाईनिंग शुरू कर देनी चाहिए और उच्चतर ईएमआई की भुगतान करने के लिए तैयारी करनी चाहिए। यदि आप सोच रहे हैं कि बढ़ी हुई ईएमआई के साथ कैसे डील करें, तो यहां पर आपकी सहायता के लिए पांच प्रभावी टिप्स दिए जा रहे हैं।
अपने बजट पर फिर से विचार करें
अपने फाईनेंसेज़ को स्ट्रीमलाइन करने के लिए बजटिंग महत्वपूर्ण है और नियमित रूप से समीक्षा करना बहुत ही ज़रूरी है। यह मानकर कि पैसे का आउटगो अधिक होगा, इसके लिए अपने मासिक बजट को रि-एडजस्ट करना ज़रूरी है। अपनी मासिक आमदनी और नकदी के आउटगो पर विचार करें ताकि बचतों को बढ़ाने और बढ़ते ईएमआई आउटफ्लो का हल खोज़ने के लिए तरीके खोज सकें। बजटिंग और रि-बजटिंग से आपकी वित्तीय समझ-बूझ में सुधार होता है।आप अपने फाईनेंसेज़ की प्लानिंग कर सकते हैं और फिज़ूलखर्ची को रोक सकते हैं। कुल मिलाकर, बजटिंग से आपके खर्चों को नियंत्रित किया जा सकता है और आप अधिक विश्वस्त महसूस कर सकते हैं।
किसी भी बड़ी खरीददारी को टाल दें
यदि आप पहले से ही एक से अधिक लोन को चुका रहे हैं, तो यह समझदारी की बात होगी कि आप नया कर्ज लेने से पहले अपने मौजूदा कर्जों को चुका दें। इससे वित्तीय परेशानी होगी है। यदि आप अल्प या मध्यम अवधि में बड़ी खरीददारी की योजना बना रहे हैं, तो आप संभवत: उन्हें टाल सकते हैं। यदि ये प्रीओरिटी नहीं हैं, तो आप एक या दो वर्ष के लिए इसमें देरी कर सकते हैं। कंजरवेटिव एप्रोच से आपको कैश को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
खर्चों को कम करें
रि-बजटिंग करने से आप अपने खर्चों पर कुल मिलाकर संपूर्ण रूप से विचार कर सकते हैं। लॉजिकल और समझबूझ से उठाए गए कदमों से, आप ऐसे अनेक खर्चों का पता लगा सकते हैं जिनसे आसानी से बचा जा सकता है। या, संभावित रूप से, यहां तक कि उन खर्चों को कम करने के बाद भी, आपको यह महसूस नहीं होगा कि ऐसा करने से आपकी सामान्य जिंदगी प्रभावित हो रही है। यह संभव है कि थोड़ी बचत करने के लिए आपको अपनी जीवनशैली में थोडा परिवर्तन करना पड़ सकता है। यदि समय की मांग है, तो इस बात का कोई कारण नहीं है कि आप ऐसा न करें। उदाहरण के लिए, आप सप्ताह में एक बार की बजाए, दो सप्ताह में एक बार बाहर खाना खाने जा सकते हैं। इस प्रकार के कदमों से आप अपने लिए अधिक पैसा बचा पाने में सक्षम होंगे। आप अपनी बचत का प्रयोग लोन की प्रीपेमेंट करने के लिए भी कर सकते हैं, जिससे आपकी ब्याज आउटगो तथा अतिरिक्त ईएमआई कम हो सकेगी।
अपनी आमदनी बढ़ाएं और प्रीपेमेंट करने की कोशिश करें
यदि आपकी आय अधिक हो जाती है, तो आउटफ्लो प्रभावी रूप से संतुलित हो जाता है। यदि आपकी आमदनी को बढ़ाया जा सकता है, तो इससे उच्च ईएमआई का भार कम हो जाएगा। आप अपनी सेलरी को बढ़ाने के लिए जॉब बदलने पर विचार कर सकते हैं। आप अपने मौजूदा जॉब के साथ फ्रीलांसिंग पर भी विचार कर सकते हैं। कोई भी अतिरिक्त आय हमेशा सहायक साबित होती है। इसके अलावा, बढ़ी हुई किश्तों का ध्यान रखने के लिए वार्षिक इंसेंटिव्स या बोनस (यदि कोई है), जो आप अपने एम्प्लायर से प्राप्त करते हैं, की बचत कर सकते हैं या अपने लोन की प्रीपेमेंट करने के लिए उनका इस्तेमाल कर सकते हैं।
अपने अल्प-अवधि लोन का जल्द निपटान करें
अल्प-अवधि लोन जैसे क्रेडिट कार्ड लोन, क्रेडिट कार्ड के बकाया बिल, और ईएमआई खरीददारियों से इलेक्ट्रिकल सामान जैसे मोबाइल फोन, लैपटॉप्स, एयर-कंडीशनर्स या होम फर्नीचर, टू-व्हीलर लोन आदि को खरीदने में सहायता मिलती है। इस प्रकार की उधार अक्सर उच्च ब्याज दरों से जुड़ी रहती हैं। पक्का कर लें कि आप उनका भुगतान प्रीआरिटी के आधार पर करते हैं, नहीं तो ब्याज बढ़ता ही जाएगा। इसलिए, अपने दीर्घकालिक लोन की तुलना में इन अल्प-कालिक कर्जों को प्रीआरिटी पर निपटाना चाहिए।
कम-कीमत पर उधार लेने का समय अब नहीं रहा है। इस प्रकार की स्थिति में सहज रूप से आगे बढ़ने के लिए अधिक बचत करने के लिए अपने खर्चों का बेहतर प्रबंधन करने की ज़रूरत है। इसलिए, अपनी ज़रूरत और अफॉर्डिबिलिटी के आधार पर उधार लें। इसके अलावा, आप अपनी ईएमआई को उसी स्तर पर बनाए रखने के लिए अपनी लोन अवधि को बढ़ाने पर भी विचार कर सकते हैं।
(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)